नए वर्ष पर – देवराज

नए वर्ष की पहली रात में
तुमने अपनी डायरी में
मेरे लिए शुभकामनाएँ लिखीं:

कि मुझे दुनिया में वह सब मिले
जो अभीष्ट और काम्य है
सब तरह का सुख, लंबी उम्र
देश-विदेश में नाम और ख्याति
यानि विस्तृत विशाल सर्जन कर्म।

मैं तुम्हारी शुभकामनाओं के लिए
हृदय से कृतज्ञ हूँ
लेकिन मेरे दूरवासी दोस्त
तुम एक चीज़ की कामना करना भूल गए
कि मैं तुम्हारे अंतरंग नैकट्य की
अर्थपूर्ण अनुभूति में
उस सबका साक्षात्कार करूँ
जो ज़िंदगी की शून्यता को भरने
उसकी निरर्थकता को काटने
और उसके अग्रगामी रास्तों को
अलोकित करने में सक्षम है
यानि मनुष्य और मनुष्य का
वह संबंध और साक्षात्कार
जो रसपूर्ण ममत्व और आह्लाद का
स्वच्छ शुचि उद्गम है।

∼ देवराज

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