होली की शुभकामनाएं - सुरेशचन्द्र ‘विमल’

होली की शुभकामनाएं – सुरेशचन्द्र ‘विमल’

होली का पर्व सुहाना यह,
सारी खुशियाँ घर लाना है।
अब निशा दुखों की विदा हुई,
सुरभित दिनकर फिर आया है॥

Holi Ki Shubhkamnayenधर्म, जाति, भाषा के हम,
वाद – विवादों में पड़कर।
अपनों को थे हम भूल गए,
थे भटक गए थोड़ा चलकर॥

मंदिर – मस्जिद में हम अटके,
मानवता को विस्मृत करके।
निज स्वार्थ जाल में फंसे रहे,
मन – मंदिर को कुलषित करके॥

पर यह सब क्षणिक भुलावा था,
स्निग्ध चाँदनी फिर आई।
हम फिर अतीत में लौट चले,
फिर बही सुगंधित पुरवाई॥

राग – द्वेष विस्मृत करके,
आपस में हम पुनः मिले।
सारी कटुता को दूर भगा,
प्रेम – पुष्प मन पुनः खिले॥

हम सभी दिवाकर की किरणें,
जो हैं आपस में सभी एक।
जग को आलोकित करती हैं,
बात दिखती हैं जो अनेक॥

हम सब सागर की बूँदें हैं,
जिनका जीवन बहते रहना।
सबको जीवन देना लेकिन,
अपनी विपदाएँ खुद सहना॥

आओ जीवन में रंग भरें,
सतरंगी दुनिया में जाकर।
आपस में मिल – जुलकर रहें और,
सबको जीवन में अपनाकर॥

होली का पर्व तुम्हें शुभ हो,
जीवन के सब सुख तुम्हें मिलें।
घर आँगन सुरभित रहें और,
इच्छित मन के सब पुष्प खिलें॥

मर्यादाओं के तुम बन प्रतीक़
जीवन सरिता के बनो कमल।
नभ में चंदा से चमको तुम,
यश – कीर्ति तुम्हारी रहे ‘विमल’॥

सुरेशचन्द्र ‘विमल’

आपको सुरेशचन्द्र ‘विमल’ जी की यह कविता “होली की शुभकामनाएं” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

Varuthini Ekadashi

Varuthini Ekadashi: Baruthani Ekadashi Information For Hindus

Varuthini Ekadashi also known as Baruthani Ekadashi usually falls on Ekadashi during the month of …