Different types of journeys

भिन्नता सफर की!

ट्रेन में सफ़र करते समय मन में विचार आया।

सफर के दौरान कितने खूबसूरत द्रश्य हमारी आँखों के सामने से गुजर जाते हैं पर हमे उससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता! क्यों?

थोडी देर के बाद आँखों के सामने कुछ देर के लिए आते है ऐसे द्रश्य जो हम देखना पसंद नहीं करते मसलन गन्दी नालिया या कचरों के ढेर पर फिर भी हमें उससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता! क्यों?

फिर से हरियाली आँखों के सामने आती है। सुबह से श्याम होती है। बाहर के द्रश्य अब दिखने बंध हो जाते है पर उससे भी हमें कुछ फर्क नहीं पड़ता। क्यों?

सामने की सिट पर या बगल वाली सिट पर कुछ लोग आते है। अगले स्टेशन पर उत्तर जाते है। कुछ और बन्दे आते है पर इस सबसे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों?

क्योकि हमें पता होता है की यह सफर कुछ घण्टों का है, निश्चित समय पर हम अपनी मंजिल तक पहोचेंगे तब हमें ये ट्रेन छोड़नी पड़ेगी। इसिलिये हम ट्रेन का मोह नहीं करते। और इसीलिए ट्रेन में आने वाली किसी भी स्थिति पर हम विचलित नहीं होते।

वैसे ही यह शरीर भी तो एक वाहन ही है! जिसमें बैठ आत्मा जीवन का सफर करती है! एक दिन उसे भी तो अपनी मंजिल मिलते उसे छोड़ना ही है! तो फिर शरीर के इस सफ़र का मुसाफिर क्यों छोटी छोटी बातोें पर विचलित हो जाता है? क्यों?

About Prashant Subhashchandra Salunke

कथाकार / कवी प्रशांत सुभाषचंद्र साळूंके का जन्म गुजरात के वडोदरा शहर में तारीख २९/०९/१९७९ को हुवा. वडोदरा के महाराजा सर सयाजीराव युनिवर्सिटी से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की. अभी ये वडोदरा के वॉर्ड २२ में भाजपा के अध्यक्ष है, इन्होने सोश्यल मिडिया पे क्रमश कहानी लिखने की एक अनोखी शुरुवात की.. सोश्यल मिडिया पे इनकी क्रमश कहानीयो में सुदामा, कातील हुं में?, कातील हुं में दुबारा?, सुदामा रिटर्न, हवेली, लाचार मां बाप, फिरसे हवेली मे, जन्मदिन, अहेसास, साया, पुण्यशाली, सोच ओर William seabrook के जीवन से प्रेरित कहानी “एक था लेखक” काफी चर्चित रही है. इसके अलवा बहोत सी छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानीया भी इन्होने सोश्यलमिडिया पे लिखी है, वडोदरा के कुछ भुले बिसरे जगहो की रूबरू मुलाकात ले कर उसकी रिपोर्ट भी इन्होने सोश्यल मिडिया पे रखी थी, जब ये ६ठी कक्षा में थे तब इनकी कहानी चंपक में प्रकाशित हुई थी, इनकी कहानी “सब पे दया भाव रखो” वडोदरा के एक mk advertisement ने अपनी प्रथम आवृती में प्रकाशित की थी, उसके बाद सुरत के साप्ताहिक वर्तमानपत्र जागृती अभियान में इनकी प्रेरणादायी कहानिया हार्ट्स बिट्स नामक कोलम में प्रकाशित होनी शुरू हुई, वडोदरा के आजाद समाचार में इनकी कहानी हर बुधवार को प्रकाशित होती है, वडोदरा के क्राईम डिविजन मासिक में क्राईम आधारित कहानिया प्रकाशित होती है, 4to40.com पे उनकी अब तक प्रकाशित कहानिया बेटी का भाग्य, सेवा परमो धर्म, आजादी, अफसोस, चमत्कार ऐसे नही होते ओर मेरी लुसी है. लेखन के अलावा ये "आम्ही नाट्य मंच वडोदरा" से भी जुडे है, जिसमें "ते हुं नथी" तथा "नट सम्राट" जेसे नाटको में भी काम किया है, इनका कहेना है "जेसे शिल्पी पत्थर में मूर्ती तलाशता है, वैसे ही एक लेखक अपनी आसपास होने वाली घटनाओ में कहानी तलाशता है", इनका इमेल आईडी है prashbjp22@gmail.com, आप फेसबुक पे भी इनसे जुड सकते है.

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