दिल्ली से करीब 600 कि.मी दूर राजस्थान के नाथद्वारा में भगवान श्रीनाथ जी का धाम स्थापित है।राजस्थान का ये श्रीनाथ मंदिर देशभर में अपने चमत्कारों के लिए जाना जाता है। मान्यताएं है कि इस मंदिर में आज भी बहुत चमत्कार देखने को मिलते हैं। ऐसी मान्यता है श्रीनाथ जी की भक्तों में इतनी शक्ति है कि यहां आने वाले हर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। बता दें कि श्रीनाथ जी भगवान स्वयं श्रीकृष्ण के अवतार हैं, और वे लगभग 7 साल के थे जब से वे यहां विराजमान थे। मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की इस संगमरमर काले रंग की मूर्ति को एक ही पत्थर से बनाया गया है।
पूरी दुनियाभर में ये केवल एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां श्रीकृष्ण को 21 टोपों की सलामी दी जाती है। ऐसी मान्यता है कि यहां के पूरे इलाके में ये इकलौता ऐसा मंदिर है जिसके राजा कोई और नहीं बल्कि नाथद्वारा के श्रीनाथ जी हैं। बता दें कि यहां स्थापित श्रीकृष्ण की प्रतिमा में हीरे जड़े हुए हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां चावल के दानों में भक्तों को श्रीनाथ के दर्शन होते हैं। इसलिए लोग यहां से चावलों के दाने लेकर जाते हैं और अपने घरों की तिज़ोरी में रखते हैं ताकि उनके घर में कभी पैसों से संबंधी कोई परेशानी न हो।
यहां रहने वाले लोगों के साथ-साथ यहां आने वाले लोगों का भी मानना है यहां यानि श्रीनाथ मंदिर में आज भी भगवान श्रीकृष्ण साक्षात मौज़ूद हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार कुछ चोरों ने मिलकर भगवान की प्रतिमा में लगे इस हीरे को चुराने की कोशिश की थी, लेकिन चोर प्रतिमा से हीरे को निकाल नहीं सके। बल्कि जब चोर हीरे को निकालते तो हीरा अपने आप वापिस मूर्ति तक पहुंच जाता।
मान्यताओं के अनुसार श्रीनाथ जी मंदिर की प्रतिमा में लगे हीरे से एक बहुत ही दिलचस्प बात जुड़ी है, जिसे जानकर शायद हर कोई दंग रह जाएगा। इतना तो हम आपको बता चुके हैं श्रीनाथ मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की मूर्ति में हीरे लगे हुए हैं, लेकिन अब हम आपको इससे जुड़ी ये जानकारी देने वाले हैं कि इसे लूटने के लिए कौन और कैसा आया था। 16 फरवरी 1739 में नादिर शाह ने नाथ द्वारा पर इस मंदिर पर हमला किया था, जो सिर्फ हीरा और मंदिर का बाकी का खज़ाना लूटने के लिए किया गया था। परंतु पौराणिक कथाओं की मानें तो जब नादिर शाह मंदिर में खज़ाना लूटने के आया तो मंदिर के बाहर बैठे एक फकीर ने उसे चेतावनी दी कि अगर वो मंदिर के अंदर जाएगा तो उसकी आंखों की रोशनी चली जाएगी। परंतु वो नही माना और जैसे ही उसने मंदिर के अंदर कदम रखे तो अचनाक से उसकी आंखों की रौशनी चली गई और वो मंदिर की नौ सीढ़िया तक नहीं चढ़ सका। कहते हैं नादिर शाह की आंखों की रोशनी तब लौटी थी जब उसने अपनी दाढ़ी के साथ इन्हें साफ किया था।