नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत: केवल नाग पंचमी के दिन खुलता है

नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत: केवल नाग पंचमी के दिन खुलता है

वर्ष में केवल एक दिन खुलता है ‘नागचंद्रेश्वर मंदिर’

सावन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार यह 2 अगस्त, 2023 को मनाया जाएगा, जब भगवान शिव के आभूषण नाग देव की पूजा की जाती है। महाकाल की नगरी उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। इस शहर की हर गली में एक मंदिर है लेकिन नागचंद्रेश्वर मंदिर की आभा बेहद निराली है। मंदिर की सबसे खास बात है कि इसके कपाट केवल नाग पंचमी के दिन ही खुलते हैं।

Name: नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Temple)
Location: Mahakaleshwar Jyotirlinga, Jaisinghpura, Ujjain, Madhya Pradesh 456001 India
Deity: Lord Nagdevta (Snake God)
Affiliation: Hinduism
Architecture: Hindu Temple Style
Creator: Parmar King Bhoj
Festivals: Naga Panchami (Shravan Shukla Panchami)
Completed In: About 11th century

सनातन धर्म में सर्प को पूजनीय माना गया है। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें गाय के दूध से स्नान कराया जाता है। माना जाता है कि जो लोग नाग पंचमी के दिन नागदेवता के साथ ही भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषिक करते हैं, उनके जीवन से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है। साथ ही राहू और केतु की अशुभता भी दूर होती है।

नेपाल से लाई गई प्रतिमा

भगवान नागचंद्रे श्वर की मूर्ति काफी पुरानी है और इसे नेपाल से लाया गया था। नागचंद्रेश्वर मंदिर में जो अद्भुत प्रतिमा विराजमान है उसके बारे में कहा जाता है कि वह 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में शिव-पार्वती अपने पूरे परिवार के साथ आसन पर बैठे हुए हैं और उनके ऊपर सांप फल फैलाकर बैठा हुआ है। उज्जैन के अलावा कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। यह दुनिया भर का एकमात्र मंदिर है जिसमें भगवान शिव अपने परिवार के साथ सांपों की शैया पर विराजमान हैं।

त्रिकाल पूजा की है परम्परा

मान्यताओं के अनुसार भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की परम्परा है। त्रिकाल पूजा का मतलब तीन अलग-अलग समय पर पूजा। पहली पूजा मध्यरात्रि में महानिर्वाणी होती है, दूसरी पूजा नागपंचमी के दिन दोपहर में शासन द्वारा की जाती है और तीसरी पूजा नागपंचमी की शाम को भगवान महाकाल की पूजा के बाद मंदिर समिति करती है। इसके बाद रात 12 बजे फिर से एक वर्ष के लिए कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

पौराणिक कथा: नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन

मान्यताओं के अनुसार सांपों के राजा तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए तपस्या की थी, जिससे भोलेनाथ प्रसन्न हुए और सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। वरदान के बाद से राजा तक्षक ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया लेकिन महाकालवन में बास करने से पूर्व उनकी यही इच्छा थी कि उनके एकांत में विघ्न न हो, इसलिए यही प्रथा चलती आ रही है कि केवल नागपंचमी के दिन ही उनके दर्शन होते हैं, बाकी समय परम्परा के अनुसार मंदिर बंद रहता है।

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