बच्चों की मनमानी – पेरेंट्स की परेशानी

Bachchon Ki Manmani - Parents Ki Pareshani

बच्चे हैं, गलतियां भी करेंगे और शरारतें भी। पेरैंट्स अपने बच्चों को बड़े लाड-दुलार से पालते हैं जो उनकी परवरिश के लिए सही भी है। कभी-कभी यही लाडलापन आपके बच्चों के लिए मुश्किलें भी खड़ी कर सकता है क्योंकि हद से ज्यादा प्यार बच्चों को जिद्दी बना सकता है। दूसरी तरफ अगर बच्चों पर सख्ती की जाए तब भी वे जान-बुझ कर जिद्दी होने लगते हैं। कुल मिलाकर दोनों परिस्थितियों में वे बिगड़ जाते हैं और अपने मन की करने लगते हैं। ऐसे में पेरैंट्स का परेशान होना लाजमी है। आज हम बच्चों की बिहेवियर प्रॉब्लम्स के बारे में जिक्र करते हुए उनके हल निकालने का प्रयत्न करेंगे…

फूड-हैबिट्स को लेकर परेशानी: आजकल के बच्चे खाने के मामले में काफी चूजी हो गए हैं, इसके लिए पेरैंट्स काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं। वे बच्चों को रेस्तरां में या फूड कॉनर्स में जब ले जाते हैं तो बच्चे की जिद से बचने के लिए उसे बर्गर, नूडल्स, पिज्जा या अन्य स्नैक्स लेकर खाने को दे देते हैं जो बच्चे की आदत बन जाती है।ऐसे में बच्चे को घर का बना खाना पसंद नहीं आता और वह हर रोज ऐसी चीजों की डिमांड करने लगता है।

स्मार्ट हल: सबसे पहले तो बच्चे को रात को समय से सुलाएं। उसे उठाने की बजाए खुद उसे उठने की आदत डालें। छुट्टी के दिन अलार्म लगा कर उठने के लिए कहें। वह समय से न उठे तो छोटे – छोटे दंड दें जैसे ‘आज तुम फलां टी.वी. प्रोग्राम नहीं देखोगे’, ‘आज तुम बाहर खेलने नहीं जाओगे’ आदि। समय लगेगा लेकिन वह अपने आप उठना सीख जाएगा।

बहस करने और जवाब देने की आदत: आजकल बच्चों में बहस करने और पलट कर जवाब देने की आदत पेरैंट्स को परेशान कर रही है।

स्मार्ट हल: हम बहस को उनकी जिज्ञासा भी कह सकते हैं क्योंकि अगर हम बच्चे को किसी काम या बात के लिए मना करते हैं तो उसका कारण जानने के लिए वह उत्सुक हो जाता है। अगर पेरैंट्स उसे जवाब से संतुष्ट नहीं कर पाते तो खीझ कर कह देते हैं कि फालतू की बहस मत करो। बस यहीं से बच्चों में पलट कर जवाब देने की आदत पड़ जाती है। जरूरी है कि उनकी जिज्ञासा को शांत भाव से सुनें और उसे सही अर्थ में शांत करने की कोशिश करें।

जब बच्चा फिजूलखर्ची करने लगे: आज बच्चों को पैसे की जरा भी कद्र नहीं हैं और यह स्थिति प्रायः वर्किंग कपल्स के बच्चों में ज्यादा नजर आती है। वे बच्चे को समय तो नहीं दे पाते हां पैसे के बल पर  अनाप-शनाप खर्च करके बच्चे को खुश करना चाहते हैं।

स्मार्ट हल: यह पेरैंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को पैसे का महत्त्व समझाएं कि कितनी मेहनत से पैसा कमाया जाता है। उन्हें बचत करने के तरीके बताएं व समझाएं कि जरूरत पड़ने पर ही इसे खर्च करें।पेरैंट्स खुद भी समझें और बच्चों को भी संभालें।

गुस्सा और गलत भाषा का प्रयोग: यह सच है कि अक्सर बच्चों का धैर्य जवाब देने लगता है और वे हिंसक होते जा रहे हैं। गुस्से में उन्हें अच्छे-बुरे का ख्याल नहीं रहता और वे अपशब्द भी बोल देते हैं। बात-बात में गंदी भाषा का इस्तेमाल करने लगते हैं और उन्हें पश्चाताप भी नहीं होता।

स्मार्ट हल: पहले अपने घर के माहौल पर ध्यान दें कि कहीं आपका व्यवहार तो उन्हें नहीं बिगाड़ रहा। अगर घर में सब ठीक है तो उसकी संगति यानी दोस्तों के बारे में पता करें। आप स्वयं पर संयम रखते हुए उसे प्यार से समझाएं। लड़ाई वाली फ़िल्में न देखने दें और न ही ऐसे लोगों के साथ सम्पर्क रखने दें जो अशिष्ट भाषा का प्रयोग करते हैं।

पढाई करते वक्त इधर-उधर की बातों में ध्यान: बच्चे घंटों टी.वी. पर प्रोग्राम देख सकते हैं, वीडियो गेम खेल सकते हैं तो फिर पढाई करते वक्त 10-15 मिनट बाद ही इधर-उधर ताकने लगते हैं। ऐसा क्यों होता है? पढाई में रूचि तब कम होती है अगर विषय समझ में न आ रहा हो।

स्मार्ट हल: ध्यान रखें कि जब बच्चा पढाई कर रहा हो तो कोई रुकावट न आने पाए। उसके पढने का समय निर्धारित करें और पढने का स्थान शांत हो। अगर वह मन लगाकर पढ़ता है तो उसे शाबाशी दें। इससे उसे प्रोत्साहन मिलेगा। अनुशासन के साथ जरूरी है कि आप उसकी दूसरों के साथ तुलना न करें, खास तौर से पढाई को लेकर।

सारा दिन टी.वी. या मोबाइल से चिपके रहना: दोनों ही चीजों की अधिकता बच्चों की सेहत के लिए बुरी है। मोबाइल पर गेम खेलना या मैसेज भेजना खास तौर से फेसबुक पर, बच्चों का प्रिय विषय है। इस दौरान उन्हें अपने खाने-पीने का होश भी नहीं रहता। पढाई के बारे में उन्हें इतनी जानकारी नहीं होती जितना वे मोबाइल या टी.वी.प्रोग्राम के बारे में जानते हैं।

स्मार्ट हल: छोटे बच्चों को मोबाईल बिलकुल न दें और टी.वी. देखने का समय निर्धारित करें। एक घंटे से अधिक टी.वी. न देखने दें या फ्री टाइम में उसे आऊटडोर गेम के लिए भेजें ताकि वह फ्रैश हो जाए और वापस आकर फ्रैश मन से पढाई करे।

दोस्तों के बारे में कुछ भी सुनना पसंद नहीं: यह सच है कि आज बड़े बच्चे अपने दोस्तों के बारे में कुछ भी बुरा सुनना पसंद नहीं करते बल्कि पेरैंट्स को पलट के जवाब देते हैं कि आपसे ज्यादा मैं अपने दोस्त को जनता हूं।

स्मार्ट हल: हमेशा बच्चों से दोस्तों जैसा रिश्ता रखें व उनकी हर बात या समस्या को ध्यानपूर्वक सुन कर अपनी राय दें। आपके दोस्ताना व्यवहार के कारण वह अपने दिल की हर बात आपसे शेयर करेंगे और आपकी सुनेंगे।

________ सरिता शर्मा

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