निःस्वार्थ सेवा की सच्ची कहानी

निःस्वार्थ सेवा की सच्ची कहानी

रेलवे ने लोगों को घर पहुंचाने के लिए हवाई अड्डे पर ही टिकटें जारी करने हेतु काऊंटर लगाया परंतु उनके पास स्टाफ की कमी थी। माता-पिता ने अन्य स्वय सेवकों को इस कार्य के लिए जुटाया। इतना ही नहीं, कई भारतीयों की लाशें भी वहा पहुंच रही थी परंतु उन पर दावा करने वाला कोई नहीं था। उनके लिए एम्बूलैंस तथा निजी वाहनो का बंदोबस्त किया गया।

मदद के लिए जुटा पूरा समुदाय

जल्द ही बच्ची के पिता द्वारा शुरू यह सेवा बड़े अभियान में बदल गई। गुरुद्वारों की कमेटियां, टैक्सी ड्राइवर, दोस्त तथा अनजान लोग उनके साथ जुड़ गए और लंगर को बढ़ा दिया गया क्योंकि कुवैत से लौट रहे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही थी।

कई लोगों ने अभियान में पैसे से मदद की पेशकश की परंतु पिता ने केवल चीजें स्वीकार की। स्मृता के मन में सेवा का सच्चा अर्थ हमेशा के लिए छप गया को उनके पिता, उनके हीरो ने बगैर शब्द कहे अपने कार्यो से उन्हें सिखाया था।

मददगार परिवार

Rajinder Singh Ahluwalia

पिता: राजिंदर सिंह आहलूवालिया मुकट एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन। तब उनका मुम्बई में स्टील पाइप निर्माण का कारोबार था। उन्होंने हवाई अड्डे पर शिविर भी लगाया व लोगो को रेलवे स्टेशन पर पहुंचाने के लिए 4 बसो का इंतजाम किया। 54 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से उनका निधन हुआ।

मां: संदीप कौर आहलूवालिया। वह अपने पति की प्रेरणा थी, अब मुम्बई में रहती है।

दादी: गुरदेव कौर। उनका निधन 2003 में हुआ।

बहनें

बड़ी: मनदीप आहलूवालिया पाहवा अब पिता का कारोबार (मुकट पाइप्स लिमिटेड) देखती है। वह मुकट एजुकेशनल ट्रस्ट की प्रधान भी है जो पंजाब के राजपुरा में मुकट पब्लिक स्कूल चलाता है।

मंझली: मनप्रीत कौर आहलूवालिया तब 14 वर्ष की थी। तब हवाई जहाजों को देख उनसे प्रेरित होने वाली मनदीप अब जैट एयरवेज में पायलट है।

छोटी: स्मृता कौर आहलूवालिया एच.डी.एफ.सी. एजुकेशन एंड डिवैल्पमैंट सर्विसेज की सी.आई.ओ. है जो एच.डी.एफ.सी. स्कूल स्थापित कर रही है।

Check Also

Good Friday

Good Friday: Christian holiday commemorating crucifixion of Jesus

Good Friday is celebrated in April-May by the Christians in India to commemorate the crucifixion …