Search Results for: भारत

दृष्टिहीनों का फुटबॉल: विद्यार्थियों और बच्चों के लिए जानकारी

Blind Soccer दृष्टिहीनों का फुटबॉल

दृष्टिहीन लोग भी कई प्रकार के खेल खेलते हैं जिनमें एथलैटिक्स, खो-खो, कबड्डी से लेकर क्रिकेट व फुटबॉल भी हैं। दृष्टिहीनों द्वारा खेले जाने वाले फुटबॉल की तुलना में कुछ अंतर होता है। इसे जिस विशेष फुटबाल से खेला जाता है वह लुढ़कने पर आवाज करती है जिससे खिलाड़ी उसकी दिशा का अंदाजा लगा कर उस तक जा पहुंचता है। …

Read More »

“अभी दिल्ली दूर है” की कहावत और हजरत निज़ामुद्दीन औलिया

Story of Famous Sufi Saint Hazrat Nizamuddin अभी दिल्ली दूर है

मध्यकाल में दिल्ली ही नहीं बल्कि सारे भारत के जनजीवन पर सूफियों का बड़ा प्रभाव था। यद्यपि सुलतान इसलाम के पालक और संरक्षक थे, मुल्लों और कठमुल्लों के बहकावे मे आ कर हिंदू प्रजा पर मनमाने अत्याचार भी करते थे। लेकिन सुलतान के अधिकांश अमीरों, विशेषतः आम जनता का सूफीमत की ओर अधिक झुकाव था। सूफी धर्म भारत के अद्वैतवाद …

Read More »

समझो प्रकृति का महत्व: विश्व पर्यावरण दिवस

समझो प्रकृति का महत्व - विश्व पर्यावरण दिवस

विश्व पर्यावरण दिवस: 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनिया भर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन 1972 में संयुक्त्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्वभर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी …

Read More »

लकड़बग्घा: पर्यावरण का रक्षक

लकड़बग्घा विचित्र जंगली प्राणी है। वह विभिन्न प्रकार की बोलियां बोलता है। उसका ठहाका बहुत प्रसिद्ध है। आमतौर पर अच्छा भोजन पाकर वह अचानक ही जोर से ठहाका लगता है। वन विशेषज्ञ मैथ्यूज ने लिखा है, “हरिद्धार के वनों में मैंने लकड़बग्घे के ठहाके बहुत सुने है। चांदनी रात में वनों में ये ऐसे अट्हास करते है जैसे कोई पागल …

Read More »

धूम्रपान है दुर्व्यसन: धूम्रपान आदत पर विद्यार्थियों और बच्चों के लिए कविता

Smoking Addiction Poem in Hindi धूम्रपान है दुर्व्यसन

धूम्रपान है दुर्व्यसन, मुँह में लगती आग स्वास्थ्य, सभ्यता, धन घटे, कर दो इसका त्याग। बीड़ी-सिगरेट पीने से, दूषित होती वायु छाती छननी सी बने, घट जाती है आयु। रात-दिन मन पर लदी, तम्बाकू की याद अन्न-पान से भी अधिक, करे धन-पैसा बरबाद। कभी फफोले भी पड़ें, चिक जाता कभी अंग छेद पड़ें पोशाक में, आग राख के संग। जलती …

Read More »

मैंने माँ को देखा है: आनंद बक्षी का मातृ दिवस स्पेशल फ़िल्मी गीत

मैंने माँ को देखा है – आनंद बक्षी Mother’s Day Hindi Film Song

Mastana is a 1970 Bollywood comedy film directed by Adurthi Subba Rao. The film stars Mehmood and Vinod Khanna. The film premiered on 16 October 1970 in Bombay. The film is remake of the Telugu film Sattekalapu Satteya (1969), directed by K. Balachander, starring Chalam and was remade in Kannada Language in 1980 as Manku Thimma by Dwarakish. मैंने माँ …

Read More »

बाप की जगह माँ ले सकती है: आनंद बक्षी की एक दर्द भरी लोरी

बाप की जगह माँ ले सकती है - आनंद बक्षी Mother's Day Hindi Film Song

दर्द का रिश्ता 1982 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। यह एक डॉक्टर दंपत्ति पर आधारित है जिसमे पत्नी न्यूयार्क में रहकर कैंसर के इलाज की कशिश करती है वह पति मुंबई में कार्य करने के लिए भारत लोट आते है, इसी कारण वोह तलाक ले लेते है। बाद में उनकी बेटी खुद कैंसर रोग से घिर जाती है। …

Read More »

गूंगी: गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की लोकप्रिय कहानी

रबीन्द्रनाथ टैगोर की श्रेष्ठ कहानियों में से एक: गूंगी

गूंगी: गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की लोकप्रिय कहानी – टैगोर के १५० वें जन्मदिन के अवसर पर उनके कार्यों का एक (कालनुक्रोमिक रबीन्द्र रचनाबली) नामक एक संकलन वर्तमान में बंगाली कालानुक्रमिक क्रम में प्रकाशित किया गया है। इसमें प्रत्येक कार्य के सभी संस्करण शामिल हैं और लगभग अस्सी संस्करण है। २०११ में, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने विश्व-भारती विश्वविद्यालय के साथ अंग्रेजी …

Read More »

हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्‍सा मांगेंगे: फैज अहमद ‘फैज’

हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्‍सा मांगेंगे - फैज अहमद 'फैज'

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ – भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे जिनको अपनी क्रांतिकारी रचनाओं में रसिक भाव (इंक़लाबी और रूमानी) के मेल की वजह से जाना जाता है। सेना, जेल तथा निर्वासन में जीवन व्यतीत करने वाले फ़ैज़ ने कई नज़्म, ग़ज़ल लिखी तथा उर्दू शायरी में आधुनिक प्रगतिवादी (तरक्कीपसंद) दौर की रचनाओं को सबल किया। उन्हें नोबेल …

Read More »

रविन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

Rabindranath Tagore

रविन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार विद्यार्थियों और बच्चों के लिए: रविन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता के प्रसिद्ध जोर सांको भवन में हुआ था। आपके पिता देबेन्‍द्रनाथ टैगोर (देवेन्द्रनाथ ठाकुर) ब्रह्म समाज के नेता थे। आप उनके सबसे छोटे पुत्र थे। आपका परिवार कोलकत्ता के प्रसिद्ध व समृद्ध परिवारों में से एक था। भारत का राष्ट्र-गान आप ही …

Read More »