Search Results for: भारत

जन गण मन: भारत का राष्ट्रगान – रबीन्द्रनाथ टैगोर

Rabindranath Tagore Jayanti

जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान है जो मूलतः बंगाली में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर (ठाकुर) द्वारा लिखा गया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्‌ है। राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड है। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है, इसमें प्रथम तथा अन्तिम पंक्तियाँ ही बोलते हैं जिसमें लगभग 20 सेकेण्ड का समय …

Read More »

मीडिया की सच्चाई: सलीम खान – भारतीय मीडिया पर व्यंग

आज कलम का कागज से मैं दंगा करने वाला हूँ, मीडिया की सच्चाई को मै नंगा करने वाला हूँ। मीडिया जिसको लोकतंत्र का चौंथा खंभा होना था, खबरों की पावनता में जिसको गंगा होना था। आज वही दिखता है हमको वैश्या के किरदारों में, बिकने को तैयार खड़ा है गली चौक बाजारों में। दाल में काला होता है तुम काली …

Read More »

भई भाषण दो: गोपाल प्रसाद व्यास – भारतीय राजनीति पर व्यंग्य पूर्ण हिंदी कविता

भई भाषण दो: गोपाल प्रसाद व्यास

यदि दर्द पेट में होता हो या नन्हा–मुन्ना रोता हो या आंखों की बीमारी हो अथवा चढ़ रही तिजारी हो तो नहीं डाक्टरों पर जाओ वैद्यों से अरे न टकराओ है सब रोगों की एक दवा भई, भाषण दो, भई, भाषण दो हर गली, सड़क, चौराहे पर भाषण की गंगा बहती है, हर समझदार नर–नारी के कानों में कहती रहती …

Read More »

रग-रग में जोश भरता “जन गण मन”: भारत का राष्ट्रगान

रंग रंग में जोश भरता "जन गण मन" - भारत का राष्ट्रगान

राष्ट्रगीत हो या राष्ट्रध्वज देशवासियों के आन-बान और शान के साथ प्रेरणा स्रोत होता है। जो राष्ट्रीय सार्वभौमिकता का प्रतीक है। राष्ट्र के सम्मान का राष्ट्रगान ‘जन गण मन‘ तमाम हिन्दुस्तानियों की शान और जोश का संचार करने वाला ऐसा ही राष्ट्रगान है जो रग-रग में जोश भरता है। दुनिया की अव्वल सर्च इंजन वेबसाइट गूगल के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र …

Read More »

दीदी के धूल भरे पाँव: धर्मवीर भारती

दीदी के धूल भरे पाँव: धर्मवीर भारती

दीदी के धूल भरे पाँव बरसों के बाद आज फिर यह मन लौटा है क्यों अपने गाँव; अगहन की कोहरीली भोर: हाय कहीं अब तक क्यों दूख दूख जाती है मन की कोर! एक लाख मोती, दो लाख जवाहर वाला, यह झिलमिल करता महानगर होते ही शाम कहाँ जाने बुझ जाता है – उग आता है मन में जाने कब …

Read More »

धुंधली नदी में: धर्मवीर भारती

धुंधली नदी में: धर्मवीर भारती

आज मैं भी नहीं अकेला हूं शाम है‚ दर्द है‚ उदासी है। एक खामोश सांझ–तारा है दूर छूटा हुआ किनारा है इन सबों से बड़ा सहारा है। एक धुंधली अथाह नदिया है और भटकी हुई दिशा सी है। नाव को मुक्त छोड़ देने में और पतवार तोड़ देने में एक अज्ञात मोड़ लेने में क्या अजब–सी‚ निराशा–सी‚ सुख–प्रद‚ एक आधारहीनता–सी …

Read More »

भारत का आधार हिंदी Short Poem on Hindi Divas

भारत का आधार हिंदी Short Poem on Hindi Divas

भारत का आधार हिंदी Short Poem on Hindi Divas भारत का आधार है हिंदी, भारतीय का संस्कार है हिंदी। भारत माँ का प्यार है हिंदी, जय हिन्द का प्रचार है हिंदी।। हिन्द का अभियान है हिंदी, मुस्लिम का ईमान है हिंदी। सिक्खों का गर्व है हिंदी, भारत में एक पर्व है हिंदी।। कविता का उद्गार है हिंदी, अंधकार में प्रकाश …

Read More »

लाला लाजपत राय: भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, लेखक व राजनेता की जीवनी

लाला लाजपत राय

लाला लाजपत राय भारतीय पंजाबी लेखक और एक राजनेता थे, जो ज्यादातर भारतीय स्वतंत्रता अभियान के मुख्य नेता के रूप में याद किये जाते है। वे ज्यादातर पंजाब केसरी के नाम से जाने जाते है। लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में लाल मतलब लाला लाजपत राय ही है। उनके प्रारंभिक जीवन में वे पंजाब राष्ट्रिय बैंक और लक्ष्मी बिमा कंपनी से भी …

Read More »

जब जीरो दिया मेरे भारत ने – इन्दीवर

जब जीरो दिया मेरे भारत ने - इन्दीवर

जब जीरो दिया मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आयी, तारो की भाषा भारत ने, दुनिया को पहले सिखलाई, देता ना दशमलव भारत तो, यू चांद पे जाना मुश्किल था, धरती और चांद की दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था, सभ्यता जहाँ पहले आयी, पहले जन्मी है जहाँ पे कला, अपना भारत वो भारत है, जिस के पीछे संसार …

Read More »

भारत हमको जान से प्यारा है – पी.के. मिश्रा

भारत हमको जान से प्यारा है - पी.के. मिश्रा

भारत हमको जान से प्यारा है सबसे न्यारा गुलिस्ताँ हमारा है सदियों से भारत भूमि दुनिया की शान है भारत माँ की रक्षा में जीवन कुर्बान है भारत हमको जान से प्यारा है… उजड़े नहीं अपना चमन, टूटे नहीं अपना वतन गुमराह ना कर दे कोई, बरबाद ना कर दे कोई मंदिर यहाँ, मस्जिद वहाँ, हिन्दू यहाँ, मुस्लिम यहाँ मिलते …

Read More »