वीडियो गेम: मंजरी शुक्ला की प्रेरणादायक हिंदी कहानी

वीडियो गेम: मंजरी शुक्ला की प्रेरणादायक हिंदी कहानी

चीनू की आँखों से लगातार पानी निकल रहा था पर चीनू की आँखें वीडियो गेम पर टिकी हुई थी। वह एक हाथ से बार-बार अपनी आँखें मसलता और फ़िर अपना चश्मा ठीक करते हुए तेजी से बटन दबाना शुरू कर देता।

जैसे ही उसने दसवाँ लेवल पार कर लिया। वह ख़ुशी से उछल पड़ा और सोफ़े पर ही कूदने लगा।

उसका चीखना सुनकर उसकी मम्मी घबराई सी भागते हुए आई और बोली – “क्या हुआ, कहीं चोट लग गई क्या”?

चीनू हवा में वीडियो गेम लहराता हुआ बड़ी शान से बोला – “ना जाने कितने दिनों की मेहनत के बाद आज जाकर बड़ा कठिन लेवल पार कर पाया हूँ। आज जाकर मुझे पता चला कि मेरा का कोई जवाब ही नहीं है। मैं “बेस्ट” हूँ।

मम्मी बेचारी अपना सिर पकड़ कर बैठ गई और बोली – ” तुम्हारी ऐसी पागलपन के कारण रोज़ स्कूल से तुम्हारी कोई ना कोई शिकायत आती ही रहती है। बारह साल की उम्र में ही इतना मोटा चश्मा लगाए घूमा करते हो, उसके बाद भी तुम्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता”।

“अरे मम्मी, आपको नहीं पता कि इसमें कितना मजा आता है बस आराम से सोफ़े पर बैठे बैठे आपके हाथ के कुरकुरे चिप्स खाओ और वीडियो गेम खेलो। मैं तो कहता हूँ कि आप भी खेलना सीख लो”।

मम्मी गुस्से से बोली – ” मैं तुम्हें फ़िर से याद दिला दूँ कि कल पापा तुम्हें दादी के यहाँ छोड़ने जाएँगे। अपना सारा ज़रूरी सामान पैक करके ध्यान से रख लेना”।

यह सुनकर चीनू कुछ सोचते हुए बोला – “पर मैं अपना वीडियो गेम साथ में ले जाऊँगा”।

उसकी मम्मी कमरे से बाहर जाते हुए बोली – “ठीक है, वीडियो गेम सबसे पहले रखना, भले ही सारा सामान छूट जाए”।

मम्मी का चेहरा देखकर चीनू समझ गया कि मम्मी उससे बहुत नाराज हैं।

वह थोड़ी देर तो उदास रहा पर फ़िर अपना मूड फ्रेश करने कि लिए गेम का अगला लेवल पार करने के लिए बैठ गया।

गेम खेलने की आदत को बहुत छोड़ ही नहीं पा रहा था। अगले ही दिन पापा उसे दादी के पास गाँव छोड़ कर वापस चले आए।

चीनू ख़ुशी के मारे दादी से लिपट गया। वह जानता था कि दादी के यहाँ रहकर वह जितनी चाहे उतनी मस्ती कर सकता है। दादी उसे किसी भी बात में रोकती टोकती नहीं थी।

वह अपना वीडियो गेम दादी को दिखाने के लिए सोच ही रहा था कि दादी आश्चर्य से बोली – “तू इतना मोटा हो गया है और तुझे यह इतना मोटा चश्मा कब लग गया! अभी से तेरी आँखें ऐसी हो गई है तो बाद में तेरा क्या होगा”?

जब तक चीनू कुछ जवाब देता, दरवाजे की घंटी बज उठी।

दादी जैसे ही आगे बढ़ी चीनू दौड़ता हुआ गया और दरवाज़ा खोल दिया।

अपने सामने उसकी ही उम्र बहुत सारे बच्चों को देखकर चीनू ने दादी की तरफ़ देखा।

दादी बच्चों को देखकर खुश हो गई और बोली – “आज यह नटखट टोली मेरे पास क्यों आ गई है”?

तभी उनमें से एक लड़का मुस्कुराते हुए बोला – “दादी, आज मेरा जन्मदिन है। घर में एक छोटी सी पार्टी रखी है। आप ज़रूर आना और तुम भी… उस लड़के ने चीनू की तरफ़ देखते हुए कहा।

“हाँ… हाँ… हम दोनों जरूर आएँगे”।  दादी ने प्यार से उस लड़के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।

उन बच्चों के जाने के बाद चीनू ने थोड़ा सा खाना खाया और अपने वीडियो गेम में गेम खेलने लगा।

दादी ने उससे कई बार बात करने की कोशिश करी पर वह अपने गेम में पूरी तरह डूबा हुआ था और दादी को सिर्फ़ हाँ या ना में ही जवाब दे रहा था। आख़िर दादी कब तक अकेले बोलती, हारकर वह भी उसके पास से उठकर चली गई।

कहाँ तो उन्होंने सोचा था कि चीनू के आने पर उसे ढेर सारे किस्से कहानियाँ सुनाएँगी, उसके दोस्तों की बारें में मजेदार बातें सुनेंगी पर चीनू ने तो जैसे वीडियो गेम के बाहर की दुनियाँ को देखना और सुनना ही छोड़ दिया था।

शाम को दादी तैयार होकर चीनू के कमरे में आई। उन के हाथ में एक बड़ा सा डिब्बा था, जो लाल रंग की चमकीली पन्नी में पैक किया हुआ था। वह चीनू को आवाज़ देते हुए उस के पास आई और बोली – “चलो शांतनू की बर्थडे पार्टी में चलते है”।

“नहीं दादी, मैं कहीं नहीं जाऊँगा। मुझे नींद आ रही है”। चीनू उनींदा सा बोला।

दिन भर वीडियो गेम खेलने के बाद अब उसकी आँखों में जलन हो रही थी।

पर दादी चीनू को जबरदस्ती उठाते हुए बोली-“जल्दी चलो, वरना “रिटर्न गिफ़्ट” के सारे वीडियो गेम खत्म हो जाएँगे”।

चीनू ने दादी का हाथ पकड़ते हुए आश्चर्य से कहा – “तो क्या वह सबको वीडियो गेम दे रहा है”?

“हाँ… लगता तो ऐसा ही है क्योंकि कल उसके पापा बगल वाली दूकान से ढेर सारे वीडियो गेम खरीद रहे थे” दादी ने कुछ सोचते हुए कहा।

बस फ़िर क्या था। दादी को दुबारा कहने की जरुरत ही नहीं पड़ी। कुछ ही मिनटों बाद चीनू तुरँत तैयार हो गया और दादी का हाथ पकड़कर चल दिया।

जब वे दोनों शांतनू के घर पहुंचे तो शांतनू और और उसके मम्मी पापा ने बड़े ही प्यार से उन दोनों का स्वागत किया।

दादी शांतनू को तोहफ़ा पकड़ाकर उससे बात करनी लगी।

शांतनू ने मुस्कुराते हुए अपने गिफ़्ट को मम्मी को पकड़ा दिया और चीनू का हाथ पकड़कर उसे अपने दोस्तों से मिलवाने चला गया।

थोड़ी देर तक सभी बच्चे हँसी मजाक के साथ साथ स्नेक्स वगैरह खाते रहे।

थोड़ी देर बाद शांतनू के पापा बोले – “चलो, अब हम सब लोग कुछ मजेदार गेम्स खेलेंगे”।

गेम्स की बात आते ही सभी बच्चों के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे।

आज हम एक नए तरह का एटलस खेलेंगे, जिसमें देश, शहर, घर में उपयोग होने वाले सामान और या फ़िर मुहावरें, कुछ भी हो सकते है”।

“अरे वाह..यह तो एक बिलकुल नए तरह का गेम होगा” ऋषि हँसते हुए बोला।

“तब तो इसमें बहुत मजा आएगा” कहते हुए मिहिर तुरँत शांतनू के पापा के पास सरककर बैठ गया।

गेम स्टार्ट करते हुए उन्होंने सबसे पहले “सी” शब्द दिया और सोनू को एक देश बताने के लिए कहा।

सोनू तुरँत कूदते हुए बोला – “कॉमरोस”।

हा हा हा… चीनू हँसते हुए बोला – “कॉमरोस” तो “क” से शुरू होता है और यह “सी” से बता रहा है।

यह सुनकर सभी बच्चे चीनू का मुँह देखने लगे।

शांतनू बोला – “Comoros

चीनू शर्मिंदा हो उठा।

“चलो चीनू अब तुम “एस” से किसी औजार का नाम बताओ क्योंकि अब तुम्हारी टर्न है” मोनू ने कहा।

चीनू सोचने लगा। पर उसे तो कुछ भी याद नहीं आ रहा था। उसने सिर नीचे कर लिया।

उसके बगल में बैठा मोनू तुरँत बोला – “सॉ… यानी आरी”।

बस फ़िर क्या था। एक के बाद एक प्रश्न उत्तर होने लगे। सभी बच्चों को इस खेल में बड़ा मजा आ रहा था सिवा चीनू के… वह बिलकुल अलग थलग पड़ गया था।

चीनू ने देखा कि बच्चे सरककर उससे आगे बैठ गए थे और सबका एक गोला बन गया था जहाँ पर सब हँस रहे थे जवाब दे रहे थे और खुश हो रहे थे। पर चीनू को कुछ भी नहीं आता था यहाँ तक कि जो उसके कोर्स में था वह भी नहीं…

उसने कभी वीडियो गेम खेलने के अलावा कुछ किया ही नहीं था।

उसने दादी की ओर देखा जो बहुत उदास नज़र आ रही थी और उसकी ओर ही देख रही थी।

अचानक वह उठा और दादी के पास जाकर बोला – “मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है। आप प्लीज़ घर चलिए”।

यह कहते हुए चीनू का गला भर्रा गया और आँखें डबडबा उठी।

दादी ने उसका हाथ पकड़ा ओर शांतनू की मम्मी से बोली – “हम लोग चलते है”।

शांतनू की मम्मी भी बहुत देर से चीनू को देख रही थी। वह सारी बात तुरँत समझ गई और उन्होंने चीनू के हाथ में वीडियो गेम पकड़ाते हुए कहा – यह तुम्हारा “रिटर्न गिफ़्ट”।

चीनू ने काँपते हाथों से वीडियो गेम पकड़ा और दादी के साथ बाहर आ गया।

रास्ते भर दादी और चीनू कुछ नहीं बोले। पर दादी जानती थी कि चीनू रो रहा है।

दादी उसका हाथ पकड़े सड़क पार करने के लिए खड़ी थी कि तभी चीनू को उसकी उम्र का ही एक बच्चा दिखा जो सड़क के किनारे बैठा था और टकटकी लगाए चीनू के वीडियो गेम को देख रहा था।

कुछ देर बाद, सड़क पार करते ही चीनू उसकी ओर बढ़ा और उसने वीडियो गेम उस बच्चे की तरफ़ बढ़ा दिया।

बच्चा ने झट से चीनू के हाथ से वीडियो गेम ले लिया और हँस दिया। चीनू ने दादी की ओर देखा जो साड़ी के पल्लू से ख़ुशी के आँसूं पोंछ रही थी।

चीनू और दादी ने देखा कि बच्चे की हाथ में वीडियो गेम पकड़ते ही उस के आस पास ढेर सारे बच्चे आकर इकठ्ठा हो गए थे और बारी बारी से अपने हाथों में लेकर वीडियो गेम देख रहे थे।

दादी और चीनू मुस्कुराते हुए वहाँ से चल पड़े सामने बनी एक दुकान की ओर, जहाँ पर ढेर सारी रंग बिरंगी किताबें दूर से ही नज़र आ रही थी।

~ मंजरी शुक्ला

Check Also

Munshi Premchand Heart Touching Story - Festival of Eid

Festival of Eid: Premchand Story For Kids

Festival of Eid – Idgaah story in English: Premchand [1] A full thirty days after …