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सूरज की सर्दी: मंजरी शुक्ला की बच्चों के लिए कहानी

चारों ओर धुंध छाई हुई थी लोग आश्चर्य कर रहे थे कि सूरज क्यों नहीं निकला। पर बेचारा सूरज निकलता भी तो कैसे… वह तो आसमान में उकड़ूँ बैठा ठंड से काँप रहा था। सुबह से ही सूरज को बहुत ठंड लग रही थी। पर सूरज को इस तरह सर्दी में काँपते देख चाँद बहुत खुश था क्योंकि चाँद को तो जब देखो तब सर्दी-जुकाम हुआ रहता था। माँ उसके लाख मना करने के बावजूद भी सूरज के पास बैठा देती थी। चाँद हमेशा सोचता था कि आख़िर सूरज को सर्दी लग जाए तो मज़ा आ जाए। आज जाकर चाँद की इच्छा पूरी हुई थी। पहली बार उसने सूरज को सर्दी में कँपकँपाते हुए देखा था इसलिए वह खुश होता हुआ यहाँ से वहाँ उछल रहा था। आज तो उसे माँ की डाँट का भी डर नहीं था। चाँद को ठंड भला लगती भी क्यों ना, कभी तो वह पानी की बूंदों के साथ खेलता तो कभी बादलों के साथ खेलता कभी सितारों के संग धमाचौकड़ी मचाता रहता तो कभी अकेले ही ठंडी हवा के संग दौड़ लगा देता। इसीलिए उसे जब पता लगा कि सूरज को सर्दी लग रही है तो वह बहुत हँसा, इतना हँसा, इतना हँसा कि उसकी आँखों से दो बूँद आँसूं लुढ़ककर उसके गालों पर फिसल गए। चाँद को हँसते देखकर सितारे भी मुस्कुरा उठे।

चाँद को तो जब देखो तब ठंड लग जाती थी और सूरज आराम से खेलता कूदता रहता थाI पर एक बार तो सूरज को सर्दी हो गईI ये देखकर चाँद, सितारे, सब आश्चर्य में पड़ गएI क्या सूरज को सच में सर्दी लग गई थी या फ़िर वह सबसे मज़ाक कर रहा था… क्या सूरज की सर्दी दूर हुई… मम्मी ने सूरज की सर्दी को ठीक करने के लिए क्या किया… जानने के लिए सुने मेरी कहानी “सूरज की सर्दी”

सूरज की सर्दी: Story telling By Dr. Manjari Shukla

“इतना तो तुम तब भी नहीं हँसे थे जब परसों हमने तुम्हें गुदगुदी की थी” चमकू सितारा चमचमाते हुए बोला।

“हाँ, मुझे याद है। तुम सबने मिलकर मुझे कितनी गुदगुदी की थी। पर आज तो हँसते-हँसते मेरे पेट में दर्द होने लगा है” चाँद अपना गोलमटोल पेट पकड़ता हुआ बोला।

तभी चाँद ने सूरज की तरफ़ देखते हुए कहा – “पर आज तो मेरे हँसने की वजह भी बड़ी मज़ेदार है” सूरज ने तुरंत इशारे से उसे चुप रहने के लिए कहा। सूरज को लग रहा था कि सितारे भी चाँद के साथ मिलकर उसका मज़ाक उड़ाएँगे। पर चाँद के सिर पर तो शैतानी का भूत सवार था।

वह बोला – “मुझसे तो रूका ही नहीं जा रहा है। मै तो बता कर ही रहूँगा”।

“सुनो… सुनो, जल्दी से सब मेरे पास आओ” चाँद चिल्लाते हुए बोला।

सभी सितारे गिरते-पड़ते, लुढ़कते हुए उत्सुकता से चाँद के पास पहुँच गए।

चाँद मुस्कुराते हुए बोला – “क्या तुम्हें पता है कि सूरज को ठंड लग गई है”?

सूरज ने यह सुनते ही शर्म से अपना चेहरा छुपा लिया।

सितारे यह सुनकर आश्चर्यचकित रह गए।

उन्होंने आपस में कुछ बोला और कुछ सोचते हुए एक दूसरे की तरफ़ देखा।

टिमकु सितारा टिमटिमाते हुए बोला – “सूरज हमारा दोस्त है और हमें उसकी मदद करनी चाहिए”।

सूरज टिमकु की बात सुनकर खुश हो गया। उसने अपने चेहरे से हाथ हटा लिया और सितारों की तरफ़ बड़े प्यार से देखने लगा।

उड़नछू सितारा ने सूरज से कहा – “हम खूब उड़ेंगे… बहुत सारा दौड़ेंगे… और भागेंगे तो तुम्हारी ठंड भाग जाएगी”।

“अरे, ऐसे भला कहीं ठंड भागती है” सफ़ेद उजले बादल से आवाज आई।

पर सब समझ गए थे कि बादलों के अंदर छुपा बैठा चाँद बोल रहा है।

तभी भुलक्कड़ सितारा सूरज के पास जाकर बोला – “तुम्हें सूरज के निकलने का इंतज़ार करना होगा क्योंकि सूरज की रोशनी से ठंड भाग जाती है”।

“लो कर लो बात… यहाँ तो सूरज खुद ही ठंड से काँप रहा है। तुम फ़िर से भूल गए” चाँद बादलों की ओट से झाँकता हुआ बोला।

यह सुनकर सभी सितारे खिलखिलाकर हँस दिए और सूरज भी मुस्कुरा दिया।

तभी मम्मी सफ़ेद चमचमाता हुआ स्वेटर लेकर आ गई और उन्होंने सूरज को पहना दिया।

“मेरा स्वेटर क्यों पहना दिया सूरज को”? कहता हुआ चाँद सूरज के पीछे भागा।

पर सूरज तो तब तक वहाँ से भागकर बादलों के साथ सैर पर निकल चुका था, उसकी सर्दी जो भाग गई थी।

~ डॉ. मंजरी शुक्ला

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