योग दिवस पर दिलचस्प कहानी: स्वीटू का प्राणायाम

योग दिवस पर दिलचस्प कहानी: स्वीटू का प्राणायाम

आज सुबह से नीलू चिड़िया तालाब के किनारे बैठी अपनी सहेली स्वीटू मछली का बहुत देर से इंतज़ार कर रही थी पर स्वीटू का कहीं अता पता नहीं था। नीलू को अब भूख भी लगने लगी थी। उसने इधर उधर कुछ खाने के लिए ढूंढना शुरू किया। तभी कुछ दूरी पर चिप्स के टुकड़े देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। उसने देखा कि एक आदमी आलू के कुरकुरे चिप्स खा रहा था, जिसके कुछ टुकड़े ज़मीन पर गिर गए थे। नीलू फुदकती हुई वहाँ पर गई और झटपट चिप्स कुतर कुतर कर खाने लगी। उस आदमी को यह देखकर बड़ा मज़ा आया।

वह मुस्कुराते हुए नीलू की तरफ़ देखते हुए बोला – “अरे वाह, तुम तो बहुत सुन्दर हो, प्यारी सी सुन्दर नीली चिड़िया… लगता है तुम्हें भी मेरी तरह चिप्स बहुत पसंद है”।

अपनी तारीफ़ सुनकर नीलू ख़ुशी से फूली नहीं समाई और हँस दी। उसकी हँसी उस आदमी को तो नहीं समझ में आई पर पास में बैठे डुडू घोंघे ने सुन ली।

वह मुस्कुराते हुए बोला – “आज स्वीटू के साथ गप्पे नहीं मारे तुमने”?

“उसी का इंतज़ार करते करते तो दोपहर हो गई। पता नहीं आज वह मुझसे मिलने क्यों नहीं आई”? नीलू बोली।

“क्योंकि वह बहुत दुखी है”। डुडू धीरे से सरकता हुआ बोला।

नीलू यह सुनकर घबरा गई और चिप्स छोड़ कर तुरंत डुडू के पास जाकर बोली – “क्या हुआ उसे… क्यों दुखी है स्वीटू”?

“तुम जो उसे हरे भरे पेड़, रंगबिरंगे फूल और तितलियों के बारें में बताया करती हो ना, तो उसका मन भी उन सबको देखने का करता है”।

“पर वह तो पानी के बाहर आई ही नहीं सकती” नीलू ने उदास होते हुए कहा।

“हाँ… वह इसीलिए तो इतना परेशान है” डुडू तालाब की ओर देखता हुआ बोला।

“अरे, वह देखो, स्वीटू किनारे पर गोल गोल घूम रही है”।

नीलू स्वीटू को देखकर ख़ुशी से चहकने लगी ओर फुर्र से उड़ते हुए उसके पास पहुँच गई। डुडू भी नीलू के पीछे पीछे चल पड़ा।

नीलू कुछ कहती इसके पहले ही स्वीटू बोली – “आज तो तुम मुझसे बहुत नाराज़ होगी ना”?

बिलकुल भी नहीं… नीलू मुस्कुराते हुए बोली।

“मैं भी तुम्हारे संग घूमना चाहती हूँ, उड़ना चाहती हूँ और वह लाल गुलाब का पेड़ देखना चाहती हूँ, जिसकी खूबसूरती के बारे में तुम हमेशा बताया करती हो”।

नीलू फुदकते हुए बोली – “मुझे भी तुम्हारे साथ घूमने में बहुत मज़ा आएगा पर तुम पानी से बाहर कैसे आओगी”?

उन दोनों की बातें सुनकर डुडू हँसने लगा।

स्वीटू गुस्से से बोली – “एक तो तुम छुपकर हमारी बातें सुन रहे हो और ऊपर से हँस रहे हो”।

“लो, मैं ही तो नीलू को तुम्हारे पास लेकर आया हूँ और इतनी देर से तुम्हारे ठीक सामने बैठा हूँ। पर तुम जब बोलना शुरू करती हो तो कुछ देखती ही नहीं और मुझे कह रही हो कि मैं छिपा बैठा हूँ” डुडू गुस्से से बोला।

नीलू तुरंत बोली – “नहीं… नहीं… तुम हँसो हँसो… कोई बात नहीं”।

डुडू यह सुनकर हँसी रोकते रोकते भी मुस्कुरा उठा और बोला – “मैं बता सकता हूँ कि स्वीटू तुम्हारे साथ जाकर पेड़ पौधे और वो लाल गुलाब वाला पेड़ कैसे देख सकती है”।

स्वीटू यह सुनते ही ख़ुशी के मारे बिलकुल किनारे पर आ गई और उत्सुकता से बोली – “क्या सच में ऐसा हो सकता है”?

“हाँ… बिलकुल हो सकता है” डुडू खुश होते हुए बोला।

“कैसे”? नीलू ने अपने खूबसूरत नीले पँखों को फैलाते हुए पूछा।

“यह जो आदमी चिप्स खा रहा है ना… यह रोज़ यहाँ पर आता है”।

“उसके आने से स्वीटू के उड़ने से क्या सम्बन्ध है”? नीलू गुस्से से बोली।

“अब अगर किसी ने मुझे बीच में बोलने से रोका तो मैं तुरंत चला जाऊँगा” डुडु हरे रंग की नर्म मुलायम पत्ती चबाते हुए बोला।

डुडू की धमकी से स्वीटू और नीलू बुरी तरह डर गई और बिलकुल चुप हो गई।

कुछ देर तक तीनों चुपचाप बैठे रहे।

तभी स्वीटू बोली – “अब बता भी दो कि उस आदमी के बारे में क्या कह रहे थे”?

डुडु सरक कर स्वीटू के थोड़ा और पास आया और बोला – “यह आदमी मोबाइल पर प्राणायाम देखकर रोज़ उसकी प्रेक्टिस करता है”।

“प्राणायाम… वो भला क्या होता है”! स्वीटू ने अपनी गोल गोल आँखें नचाते हुए पूछा।

“अरे, आजकल स्वस्थ रहने के लिए सभी मनुष्य प्राणायाम और योगासन करते है”।

“हाँ… मैं भी जब रोज़ सुबह पार्क में अपनी सहेलियों के साथ खेलती हूँ तो वहाँ पर बहुत सारे मनुष्य प्राणायाम कर रहे होते है”। नीलू ने डुडू की बात से सहमत होते हुए कहा।

“आगे बोलो…” स्वीटू उत्सुकता से बोली।

“प्राणायाम तो बहुत तरह के है पर तुम अभी सिर्फ़ साँस रोककर और थोड़ी देर बाद छोड़ने की प्रेक्टिस करो”।

“अरे वाह, उससे तो स्वीटू ज़मीन पर भी रह सकेगी और जब उसे साँस लेनी होगी तो वापस पानी में चली जायेगी” नीलू चहकते हुए बोली।

“उससे तुम्हारें चेहरे पर ग्लो भी आएगा और तुम बीमार भी नहीं पड़ोगी, जो हर दूसरे दिन पड़ जाती हो”। डुडू स्वीटू की ओर देखकर हँसते हुए बोला

“घूमने के साथ साथ चेहरे के ग्लो के बारे में सुनते ही स्वीटू ख़ुशी से झूम उठी और बोली अब तुम लोग कल आना। मैं अभी से प्रक्टिस करने जा रही हूँ”।

नीलू जब तक कुछ कहती स्वीटू झट से पानी के अँदर चली गई।

नीलू और डुडू जोरों से हँस पड़े और दूसरे दिन मिलने की बात करते हुए चले गए।

उधर स्वीटू ने सारे दिन और देर रात तक साँसों पर कँट्रोल करने की प्रेक्टिस की।

दूसरे दिन जब वह तालाब के किनारे आई तो नीलू और डुडू को पहले से ही वहाँ बैठा देखकर ख़ुशी से झूम उठी।

डुडू बोला – “तो फ़िर तैयार हो घूमने के लिए”।

“हाँ… बिलकुल”। कहते हुए स्वीटू ने लम्बी साँस भरी और नीलू के पास आ गई।

नीलू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्वीटू को अपने ऊपर बैठाया और छोटा सा चक्कर लगाकर स्वीटू को तालाब में वापस छोड़ दिया।
“मैं बता नहीं सकती कि मैं कितनी खुश हूँ”। स्वीटू ख़ुशी के आँसूं पोंछते हुए बोली।

नीलू और डुडू स्वीटू को इतना खुश देखकर हँस दिये।

स्वीटू ख़ुशी से पानी में उछलते हुए नीलू से बोली – “कल हम बड़ा सा चक्कर लगाएँगे”।

“हाहाहा… बिलकुल…” नीलू हँसते हुए बोली।

डुडू स्वीटू से बोला – “तुम तो सेलिब्रिटी बन गई हो। देखो, कितने लोग तुम्हारी फोटों खींचने आ गए है”।

नीलू बोली – “अगर हम इनसे पैसे ले तो कितने अमीर हो जायँगे”।

डुडू धीरे से बोला – “पर प्लीज़ उस मोबाइल वाले से मत लेना… उसी से तो हमने प्राणायाम सीखा है”।

डुडू की बात सुनकर स्वीटू और नीलू ठहाका मारकर हँस पड़े और स्वीटू से दूसरे दिन आने का कहकर नीलू फुर्र से उड़ चली, अपने दोस्तों को स्वीटू की रोमांचक सैर के बारे में बताने के लिए।

~ डॉ. मंजरी शुक्ला

Check Also

Bali and Hanuman - Learn how Hanuman saved Sugriva from Bali

Bali and Hanuman: How Hanuman saved Sugriva

Bali and Hanuman: Kishkindha was the capital of the kingdom of the monkeys ruled by …