मानसरोवर झील, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, चीन

मानसरोवर झील, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, चीन

पौराणिक कथाओं के अनुसार सुबह के ब्रह्म मुहूर्त में देवी-देवता स्नान के लिए मानसरोवर झील आते हैं। पवित्र पक्षी राजहंस भी यहां स्नान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि, इस झील में स्नान करने पर आदमी के सभी पाप धुल जाते हैं और इसका जल पीने से उसे मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान मिलता है।

Lake Manasarovar also called Mapam Yumtso, is a high altitude freshwater lake fed by the Kailash Glaciers near Mount Kailash in the Tibet Autonomous Region of China. The lake is revered a sacred place in four religions: Hinduism, Bon, Buddhism and Jainism. Contents. ~ Wiki

जबकि इस झील के बिल्कुल पास एक ओर झील है, जिसे राक्षस ताल कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण ने यहां भगवान् शिव की आराधना की थी। जहां एक ओर मानसरोवर झील में एक डुबकी लगाने के लिए लोग इतनी दुर्गम यात्रा पर जाते हैं वहां पूजा-अर्चना करते हैं, वहीं दूसरी ओर इसके बिल्कुल पास स्थित राक्षस ताल में लोग हाथ धोना भी पसंद नहीं करते हैं।

आखिर ऐसा क्या है कि, दोनो झीलें हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के बीच मैदान में पास-पास स्थित हैं और दोनों ही झीलों में पानी का स्रोत हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं ही हैं? तो इतने बड़े अन्तर का कारण क्या है? इस अन्तर का कारण है इन दोनों झीलों की भौगोलिक स्थिति और इनका वास्तु –

जहां मानसरोवर झील का ईशान कोण बढ़ाव लिए हुए है उसी के साथ वहीं गहराई लिए हुए भी है। इस झील की दक्षिण और पश्चिम दिशा में स्थित पर्वत इस झील के किनारे से एकदम सटे हुए हैं जबकि मानसरोवर झील की उत्तर, पूर्व दिशा और ईशान कोण की ओर स्थित पर्वत बहुत दूरी पर स्थित हैं और पर्वतों और झील के बीच बड़ा मैदानी क्षेत्र है।

इस तरह झील की उत्तर, पूर्व दिशा वाला भाग दक्षिण, पश्चिम दिशा की तुलना में फैलाव के साथ-साथ नीचाई के लिए हुए भी है। यह वास्तुनुकुल भौगोलिक स्थिति ही इसकी प्रसिद्धि का कारण है। इसके विपरीत राक्षस ताल का ईशान कोण, उत्तर तथा पूर्व दिशा घटी हुई है और इसी के साथ राक्षस ताल की उत्तर एवं पूर्व दिशा में किनारे से एकदम सटे हुए पर्वत हैं।

राक्षस ताल का आग्नेय कोण, दक्षिण दिशा और नैऋत्य कोण बढ़ाव लिए हुए है और इन दिशाओं में पर्वत थोड़ी दूरी पर स्थित है। इस प्रकार राक्षस ताल की भौगोलिक स्थिति मानसरोवर झील से एकदम विपरीत होकर वास्तु की दृष्टि से दोषपूर्ण है। इसी कारण राक्षस ताल पर लोग न तो नहाते हैं और ना ही पूजा करते हैं।