रसोईघर और वास्तु शास्त्र

अगर रसोईघर अनुकूल दिशा में न हो या उसके अंदर कोई वास्तुदोष लग गया हो तो निम्र सुझावों के द्वारा वास्तु दोषों को दूर किया जा सकता है:

  • अगर घर की रसोई सही दिशा में न हो तो गैस-चूल्हा अग्नि दिशा में स्थापित करें।
  • खाना पकाते समय गृहिणी अपना मुंह पूर्व दिशा में रखे तथा रसोई के अंदर तुलसी का पौधा स्थापित करें। वाश बेसिन चूल्हे के पास न बनाएं।
  • अगर वाश बेसिन चूल्हे के पास है तो रसोई के बर्तन रसोई की अग्नि ठंडी होने के बाद साफ करें।
  • गैस सिलैंडर हमेशा दक्षिण दिशा में स्थापित करें। अगर दक्षिण में स्थान नहीं तो उसे पश्चिम दिशा में स्थापित किया जा सकता है।
  • अगर रसोई दक्षिण दिशा में है तो गृहिणी जहां खड़े होकर खाना तैयार करती है उसके ऊपर पिरामिड लगाना उत्तम माना जाता है।
  • घर के अंदर तैयार खाने व पकवान को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।
  • रसोईघर के अंदर भूल कर भी पूजा का स्थल या देव स्थान या पितृ स्थान आदि न बनाएं। ऐसा करने से घर के प्रत्येक कार्य में बाधा आती है तथा सफलता कम मिलती है।
  • खाना तैयार होने के बाद या खाना पकाने के समय घर के भोजन पाने वाले लोगों को रसोईघर के अंदर बैठ कर भोजन नहीं करना चाहिए।
  • घर की रसोई अनुकूल न होने पर उसके अंदर दक्षिण दिशा की ओर एक बल्ब स्थापित करें तथा उसको निरंतर रात्रि तथा भोजन तैयार करने के बाद जलने दें। लगाया गया बल्ब 50 वाट से अधिक बड़ा नहीं होना चाहिए।
  • खाना तैयार करते समय गृहिणी को काले या लाल रंग के चप्पल, जूते आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि काले रंग को अग्रि का कुचालक माना जाता हैं तथा लाल रंग को अग्रि का स्रोत माना जाता है जिससे स्वास्थ्य खराब होने की पूर्ण संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
  • रसोई के अंदर पूर्व में स्थापित खिड़की व रोशनदान आदि को खाना तैयार करते समय खोल कर रखना चाहिए।
  • गृहिणी को रसोई तैयार करते समय प्रसन्न रहना अति आवश्यक है। तनाव या मानसिक दुविधा की स्थिति में खाना तैयार करने से परिवार के लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा सभी चिंतित रहेंगे।

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