Chitrakoot

चित्रकूट

भगवान राम ने अपने वनवास के चौदह वर्षों के प्रारंभिक साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में व्यतित किए थे। चित्रकूट सदियों से ऋषि-मुनियों की तपस्थली रहा है। माना जाता है की हनुमान जी की कृपा से चित्रकूट में ही भगवान श्री राम ने गोस्वामी तुलसीदास जी को दर्शन दिए थे और आज भी हनुमान जी यहीं वास करते हैं तथा भक्तों के दैहिक और भौतिक तापों का हरण करते हैं क्योंकि लंका दहन के उपरांत उनका शारीरिक ताप बहुत बढ़ गया था जिससे उन्हें बहुत कष्ट होने लगा तब भगवान राम ने उन्हें ताप से मुक्ति दिलवाई थी।

चित्रकूट पर्वत की अमृत तुल्य शीतल जलधारा से सभी कष्ट दूर होते हैं। इस स्थान पर हनुमान धारा मंदिर और भगवान श्री राम का भी एक छोटा सा मंदिर स्थित है। हनुमान जी के दर्शनों से पूर्व यहां प्रवाहित कुंड में लोग हाथ मुंह धोते हैं।

कुछ वर्ष पूर्व इस स्थान पर पंचमुखी हनुमान का स्वरूप स्वयं प्रगट हुआ था। यहां सीढ़ियों का अजब गजब रूप देखने को मिलता है। थोड़ ऊपर जाने पर देवी सीता की रसोई है। यहां माता सीता ने वन में आकर प्रथम रसोई बनाई थी। माता सीता ने जिन चीजों से यहां रसोई बनाई थी उसके चिन्ह आज भी यहां देखे जा सकते हैं।

मंगलवार, शनिवार, नवरात्रों और हनुमान जी के जन्मदिन पर बड़ी तादात में यहां भक्त दर्शनों के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। चित्रकूट पंहुचने के लिए अलग अलग स्थानों से बसें आती हैं। रेलगाढ़ी द्वारा चित्रकूट पंहुचना हो तो झांसी से 261 किमी और मानिकपुर से 31 किमी की दूरी तय करना पड़ती है। इसके अतिरिक्त जबलपुर, वाराणसी, हजरत निजामुद्दीन व हावड़ा से भी चित्रकूट धाम के लिए रेल सेवाएं उपलब्ध हैं। खजुराहो यहां पड़ने वाला निकटतम हवाई अड्डा है।

Check Also

National Creators Award: Categories, Winners and Recognition

National Creators Award: Categories, Winners and Recognition

National Creators Award (NCA): Creators Awards 2024 took place on 08th March 2024, Prime minister …