मार्कण्डेय ऋषि मंदिर, नाहन, हिमाचल प्रदेश

मार्कण्डेय ऋषि मंदिर, नाहन, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल के नाहन से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक ऐसा पवित्र शिवलिंग है जहां भगवान शिव ने अपना चमत्कार दिखाया था। ऐसा चमत्कार जिसके बाद यमराज को भी खाली हाथ यहां से वापस जाना पड़ा था। आपको बता दें कि ये कहानी 12 साल के उस बच्चे से जुड़ी है जो बाद में अमर हो गया था।

मार्कण्डेय ऋषि मंदिर, नाहन, हिमाचल प्रदेश

कहा जाता है कि भगवान विष्णु की तपस्या करने के बाद मृकंडू ऋषि को एक बेटे की प्राप्ति हुई थी। लेकिन वरदान देते वक्त भगवान विष्णु ने कहा था कि इस बालक की उम्र सिर्फ 12 साल होगी। इसके बाद इस बालक की मौत हो जाएगी। अत: इस वरदान के फलस्वरूप मार्कण्डेय ऋषि का जन्म हुआ। जब उन्हें पता चल गया कि उनका जीवन लंबा नहीं है। इसीलिए उन्होंने भगवान शिव की तपस्या शुरू कर दी।

अमरता हासिल करने के लिए उन्होंने भगवान भोलेनाथ की तपस्या में निरंतर महामृत्युन्ज्य मन्त्र का जाप किया। कहा जाता है कि भगवान विष्‍णु के वरदान के अनुसार 12 साल की आयु पूरी होने के बाद जब यमराज मार्कण्डेय ऋषि के प्राण लेने आए तो उन्होंने वहां रखे शिवलिंग को बाहों में भर लिया और घोर तप शुरू कर दिया। जैसे ही यमराज मार्कण्डेय ऋषि के प्राण लेने लगे कि भगवान शिव साक्षात प्रकट हो गए। उन्होंने मार्कण्डेय ऋषि को अमरता दी और यहां से मार्कण्डेय नदी का उद्गम हुआ। कहते हैं कि यहां लोगों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहां पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है।

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