पहली बातें – भवानी प्रसाद मिश्र

अब क्या होगा इसे सोच कर, जी भारी करने में क्या है,
जब वे चले गए हैं ओ मन, तब आँखें भरने में क्या है।
जो होना था हुआ, अन्यथा करना सहज नहीं हो सकता,
पहली बातें नहीं रहीं, तब रो रो कर मरने में क्या है?

सूरज चला गया यदि बादल लाल लाल होते हैं तो क्या,
लाई रात अंधेरा, किरनें यदि तारे बोते हैं तो क्या,
वृक्ष उखाड़ चुकी है आंधी, ये घनश्याम जलद अब जायें,
मानी ने मुहं फेर लिया है, हम पानी खोते हैं तो क्या?

उसे मान प्यारा है, मेरा स्नेह मुझे प्यारा लगता है,
माना मैनें, उस बिन मुझको जग सूना सारा लगता है,
उसे मनाऊं कैसे, क्योंकर, प्रेम मनाने क्यों जाएगा?
उसे मनाने में तो मेरा प्रेम मुझे हारा लगता है।

∼ भवानी प्रसाद मिश्र

About Bhawani Prasad Mishra

भवानी प्रसाद मिश्र (जन्म: २९ मार्च १९१३ - मृत्यु: २० फ़रवरी १९८५) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक थे। वे दूसरे तार-सप्तक के एक प्रमुख कवि हैं। गाँधीवाद की स्वच्छता, पावनता और नैतिकता का प्रभाव तथा उसकी झलक उनकी कविताओं में साफ़ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह 'गीत-फ़रोश' अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नये पाठ-प्रवाह के कारण अत्यंत लोकप्रिय हुआ। थे। प्यार से लोग उन्हें भवानी भाई कहकर सम्बोधित किया करते थे। उन्होंने स्वयं को कभी भी कभी निराशा के गर्त में डूबने नहीं दिया। जैसे सात-सात बार मौत से वे लड़े वैसे ही आजादी के पहले गुलामी से लड़े और आजादी के बाद तानाशाही से भी लड़े। आपातकाल के दौरान नियम पूर्वक सुबह दोपहर शाम तीनों बेलाओं में उन्होंने कवितायें लिखी थीं जो बाद में त्रिकाल सन्ध्या नामक पुस्तक में प्रकाशित भी हुईं। भवानी भाई को १९७२ में उनकी कृति बुनी हुई रस्सी के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। १९८१-८२ में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का साहित्यकार सम्मान दिया गया तथा १९८३ में उन्हें मध्य प्रदेश शासन के शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया।

Check Also

National Creators Award: Categories, Winners and Recognition

National Creators Award: Categories, Winners and Recognition

National Creators Award (NCA): Creators Awards 2024 took place on 08th March 2024, Prime minister …