क्या करेगी चांदनी – हुल्लड़ मुरादाबादी

चांद औरों पर मरेगा क्या करेगी चांदनी
प्यार में पंगा करेगा क्या करेगी चांदनी?

डिग्रियाँ हैं बैग में पर जेब में पैसे नहीं
नौजवाँ फ़ाँके करेगा क्या करेगी चांदनी?

लाख तुम फ़सलें उगा लो एकता की देश में
इसको जब नेता चरेगा क्या करेगी चांदनी?

रोज़ ड्यूटी दे रहा है एक भी छुट्टी नहीं
सूर्य को जब फ्लू धरेगा क्या करेगी चांदनी?

गौर से देखा तो पाया प्रेमिका के मूँछ थी
अब ये ‘हुल्लड़’ क्या करेगा, क्या करेगी चांदनी?

पेड़ के नीचे पड़ा है एक गंजा छाँव में
नारियल सर पर झरेगा क्या करेगी चांदनी?

नोट नेता ने विदेशी बैंक में भिजवा दिए
आयकर अब क्या करेगा, क्या करेगी चांदनी?

कैश  में दस लाख खींचे पार्टी से खर्च को
पांच ये घर पैर धरेगा, क्या करेगी चांदनी?

ईश्वर ने सब दिया पर आज का ये आदमी
शुक्रिया तक ना करेगा क्या करेगी चांदनी?

एक रचना को कहा था बीस कविता पेल दीं
ऊब कर श्रोता मरेगा, क्या करेगी चांदनी?

चांद से हैं खूबसूरत भूख में दो रोटियाँ
कोई बच्चा जब मरेगा क्या करेगी चांदनी?

जो बचा था खून वो तो सब सियासत पी गई
खुदकुशी खटमल करेगा क्या करेगी चांदनी?

दे रहे चालीस चैनल नंगई आकाश में
चाँद इसमें क्या करेगा क्या करेगी चांदनी?

साँड है पंचायती ये मत कहो नेता इसे
देश को पूरा चरेगा क्या करेगी चांदनी?

एक बुलबुल कर रही है आशिक़ी सय्याद से
शर्म से माली मरेगा क्या करेगी चांदनी?

∼ हुल्लड़ मुरादाबादी

About Hullad Moradabadi

हुल्लड़ मुरादाबादी (29 मई 1942 – 12 जुलाई 2014) इनका वास्तविक नाम सुशील कुमार चड्ढा, एक हिंदी हास्य कवि थे। इतनी ऊंची मत छोड़ो, क्या करेगी चांदनी, यह अंदर की बात है, तथाकथित भगवानों के नाम जैसी हास्य कविताओं से भरपूर पुस्तकें लिखने वाले हुल्लड़ मुरादाबादी को कलाश्री, अट्टहास सम्मान, हास्य रत्न सम्मान, काका हाथरसी पुरस्कार जैसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा द्वारा मार्च 1994 में राष्ट्रपति भवन में अभिनंदन हुआ था। हुल्लड़ मुरादाबादी का जन्म 29 मई 1942 को गुजरावाला, पाकिस्तान में हुआ था। बंटवारे के दौरान परिवार के साथ मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश आ गए थे। शुरुआत में उन्होंने वीर रस की कविताएं लिखी लेकिन कुछ समय बाद ही हास्य रचनाओं की ओर उनका रुझान हो गया और हुल्लड़ की हास्य रचनाओं से कवि मंच गुलजार होने लगे। सन 1962 में उन्होंने ‘सब्र’ उप नाम से हिंदी काव्य मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। बाद में वह हुल्लड़ मुरादाबादी के नाम से देश दुनिया में पहचाने गए। उनका एक दोहा- पूर्ण सफलता के लिए, दो चीजें रख याद, मंत्री की चमचागिरी, पुलिस का आशीर्वाद।’ राजनीति पर उनकी कविता- ‘जिंदगी में मिल गया कुरसियों का प्यार है, अब तो पांच साल तक बहार ही बहार है, कब्र में है पांव पर, फिर भी पहलवान हूं, अभी तो मैं जवान हूं...।’ उन्होंने कविताओं और शेरो शायरी को पैरोडियों में ऐसा पिरोया कि बड़ों से लेकर बच्चे तक उनकी कविताओं में डूबकर मस्ती में झूमते रहते। एचएमवी एवं टीसीरीज से कैसेट्स से ‘हुल्लड़ इन हांगकांग’ सहित रचनाओं का एलबम भी हैं। उन्होंने बैंकाक, नेपाल, हांगकांग, तथा अमेरिका के 18 नगरों में यात्राये भी की।

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