कितने दिन चले – किशन सरोज

कसमसाई देह फिर चढ़ती नदी की
देखिये, तट­बंध कितने दिन चले

मोह में अपनी मंगेतर के
समुंदर बन गया बादल,
सीढ़ियाँ वीरान मंदिर की
लगा चढ़ने घुमड़ता जल;

काँपता है धार से लिपटा हुआ पुल
देखिये, संबंध कितने दिन चले

फिर हवा सहला गई माथा
हुआ फिर बावला पीपल,
वक्ष से लग घाट से रोई
सुबह तक नाव हो पागल;

डबडबाये दो नयन फिर प्रार्थना में
देखिये, सौगंध कितने दिन चले

∼ किशन सरोज

About Kishan Saroj

आजादपुरम, छावनी, अशरफ खां रोड, बरेली-243122, फोन : 0581-541004 किशन सरोज गीत विधा के रागात्मक भाव के कवि हैं। इन्होंने अब तक लगभग ४०० गीत लिखे हैं। इनके प्रेमपरक गीत सहज अभिव्यंजना एवं नवीन उत्प्रेक्षाओं के कारण मर्मस्पर्शी हैं।

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