खग उड़ते रहना जीवन भर: नीरज प्रेरक हिंदी कविता

खग उड़ते रहना जीवन भर: नीरज की एक प्रेरक हिंदी कविता

In this poem, Neeraj exhorts us to keep making efforts and not lose hope. These lines are very similar to what Lord Krishna told Arjuna in Kurukshetra (Geeta Chapter 2, shlokas 35, 36 and 37)

खग उड़ते रहना जीवन भर: गोपाल दास नीरज

खग! उड़ते रहना जीवन भर!
भूल गया है तू अपना पथ‚
और नहीं पंखों में भी गति‚
किंतु लौटना पीछे पथ पर अरे‚ मौत से भी है बदतर।
खग! उड़ते रहना जीवन भर!

मत डर प्रलय झकोरों से तू‚
बढ़ आशा हलकोरों से तू‚
क्षण में यह अरि–दल मिट जायेगा तेरे पंखों से पिस कर।
खग! उड़ते रहना जीवन भर!

यदि तू लौट पड़ेगा थक कर‚
अंधड़ काल बवंडर से डर‚
प्यार तुझे करने वाले ही देखेंगे तुझ को हँस–हँस कर।
खग! उड़ते रहना जीवन भर!

और मिट गया चलते चलते‚
मंजिल पथ तय करते करते‚
तेरी खाक चढ़ाएगा जग उन्नत भाल और आंखों पर।
खग! उड़ते रहना जीवन भर!

गोपाल दास नीरज

गोपाल दास नीरज (4 जनवरी 1925 – 19 जुलाई 2018), हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक थे। वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया, पहले पद्म श्री से, उसके बाद पद्म भूषण से। यही नहीं, फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला।

Check Also

Hanuman - The Powerful

Hanuman: The Powerful – Poetry On Monkey God

Hanuman: The Powerful You are the monkey god, the real superman Son of Vayu Deva …