इब्‍नबतूता बगल में जूता – गुलजार

इब्‍नबतूता बगल में जूता – गुलजार

इब्‍नबतूता
बगल में जूता
पहने तो करता है जुर्म
उड़ उड़ आवे, दाना चुगे
उड़ जावे चिड़िया फुर्र

अगले मोड़ पर मौत खड़ी है
अरे मरने की भी क्‍या जल्‍दी है
हार्न बजा कर आ बगिया में
दुर्घटना से देर भली है

दोनों तरफ से बजती है यह
आए हाए जिंदगी क्‍या ढोलक है
हार्न बजा कर आ बगिया में
अरे थोड़ा आगे गतिरोधक है

अरे चल चल उड़ जा फुर्र फुर्र

इब्‍नबतूता,
बगल में जूता
पहने तो करता है जुर्म
उड़ उड़ आवे, दाना चुगे
उड़ जावे चिड़िया फुर्र

∼ गुलजार

About Gulzar

ग़ुलज़ार नाम से प्रसिद्ध सम्पूर्ण सिंह कालरा (जन्म-१८ अगस्त १९३६) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। इसके अतिरिक्त वे एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक तथा नाटककार हैं। उनकी रचनाए मुख्यतः हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं, परन्तु ब्रज भाषा, खङी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी इन्होने रचनाये की। गुलजार को वर्ष २००२ मे सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष २००४ मे भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष २००९ मे डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म स्लम्डाग मिलियनेयर मे उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिये उन्हे सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिये उन्हे ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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