बिखर रहा हूँ मेरे दोस्त – दीपक शर्मा

बिखर रहा हूँ मेरे दोस्त संभालो मुझको,
मोतियों से कहीं सागर की रेत न बन जाऊँ
कहीं यह ज़माना न उड़ा दे धूल की मानिंद
ठोकरें कर दें मजरूह और खून में सन जाऊँ।

इससे पहले कि दुनिया कर दे मुझे मुझ से जुदा
चले आओ जहाँ भी हो तुम्हें मोहब्बत का वास्ता
मैं बेचैनियों को बहलाकर कर रहा हूँ इन्तिज़ार
तन्हाइयां बेकरार निगाहों से देखती हैं रास्ता।

बहुत शातिराना तरीके से लोग बात करते हैं,
बेहद तल्ख़ अंदाज़ से जहान देता है आवाज़
मुझे अंजाम अपने मुस्तकबिल का नहीं मालूम
कफ़स मे बंद परिंदे कि भला क्या हो परवाज़।

अपनी हथेलियों से छूकर मेरी तपती पेशानी को
रेशम सी नमी दे दो, बसंत की फुहारें दे दो
प्यार से देख कर मुझको पुकार कर मेरा नाम
इस विरान दुनिया में फिर मदमस्त बहारें दे दो।

आ जाओ इससे पहले कि चिराग बुझ जायें
दामन उम्मीद का कहीं ज़िन्दगी छोड़ न दे,
साँस जो चलती है थाम कर हसरत का हाथ
“दीपक” का साथ कहीं रोशनी छोड़ ना दे।

∼ दीपक शर्मा

Check Also

Good Friday SMS: Jesus Wishes, Quotes, WhatsApp Messages

Good Friday SMS: Jesus Wishes, Quotes, WhatsApp Messages

Good Friday SMS: Good Friday Text Messages For Christian Festival – Occasions are a reason …