दूसरा न कोई
जाके सिर मोर मुकुट
मेरो पति सोई
छांड़ि दई कुल की कानि
कहा करि है कोई
सन्तन संग बैठि–बैठि
लोक लाज खोई
अंसुवन जल सींचि–सींचि
प्रेम बेलि बोई
अब तो बेल फैल गई
आणन्द फल होई
भगत देखि राजी हुई
जगत देखि रोई
दासी ‘मीरा’ लाल गिरधर
तारौ अब मोहीं
मेरो तो गिरधर गोपाल
दूसरा न कोई
~ मीरा बाई
Mirabai (born 1512 AD) was reluctantly married to Bhojraj, the second son of Rana Sanga. She was however so utterly engrossed in the love of Lord Krishna, that she refused to recognize Bhojraj as her husband, and devoted her whole life in devotion.