वह विधार्थी बड़ी कठिनता से समुंद्र में तैरने लगा। उसके मन में यह विश्वास था की मैं जाकर संकट में पड़े लोगो को बचा लूँगा। गहरे पानी में लम्बी दूर तक तैरना कठिन काम है। दूसरे लोग जो यह सब कुछ देख रहे थे, उनके शरीर उसकी अपेक्षा बहुत मजबूत होने पर भी वे तैरने से डरते थे। वह विधार्थी दया के आवेश में कष्ट उठाकर भी जहाज के पास पहुँच गया। उसने दाँतों में चाकू पकड़ रखा था, उससे कमर की रस्सी काट डाली। किनारे पर खड़े हुए उसके मित्र ने वह रस्सा पकड़ रखा था; ताकि यदि वह तैर न सके तो उसको वापस खीच लिया जाय। उसके बाद जहाज में से एक आदमी को साथ लेकर वह तैरता हुआ किनारे पर लौट आया। उसके बाद दूसरी बार गया और फिर दूसरी बार एक आदमी को साथ लेकर आया। इस प्रकार छः बार जाकर उसने छः आदमियो के प्राण बचाये। अब वह खूब थक गया था, फिर सांतवी बार जाकर उसने एक दुर्बल लड़के को लाने का प्रयत्न किया। लड़का दुर्बल होने के कारण ठीक न तैर सका और डूब गया। तब उसने डूबकी मारकर उसे ऊपर निकाला। इस प्रकार दो बार उसने डुबकी मारकर उसे ऊपर निकाला। अन्त में बड़ी कठिनता से उसको भी किनारे ले आया। किनारे पर के आदमियो ने प्रत्येक बार उँचे स्वर से उसको शाबाशी दी और अन्तिम बार तो उसको खूब शाबाशी दी।
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