मेरे पिताजी से ज्यादा दरियादिल और महान इंसान मैंने आज तक नहीं देखा। दरियादिल इसलिए क्योंकि उनके दिल में कंजूसी और कृपणता दोनों का दरिया पूरे वेग के साथ बहता है और महान इसलिए क्योंकि वह कंजूसी के साम्राज्य के वो महान सम्राट है जिनकी टक्कर में कोई खड़ा ही नहीं हो सकता। घर हो या बाहर, वो जहाँ भी …
Read More »All in a row: Diyas light up more than just our homes
Pradeep decided that they would use electrical lights in multicolored to decorate the house for the festival. “How many days to Deepavali?” Pradeep asked his dad. “Four,” said Dad without looking up from the newspaper. “Oh… ho… we don’t have much time. We have to decorate the house with colorful electrical bulbs and multicolored string lights.” “I think it would …
Read More »बाला की दिवाली: गरीबों की सूनी दिवाली की कहानी
“माँ… पटाखे लेने है मुझे” बाला ने दिवार के कोने में बैठे हुए कहा। “कहाँ से ले दूँ?” बाला की माँ, शांता का तुरंत जवाब आया। “पर दिवाली में तो सब बच्चे पटाखे फोड़ते है” बाला ने एक और कोशिश करते हुए कहा। “हाँ, पर उनके मम्मी पापा के पास पैसे होते है?” माँ ने रस्सी पर कपड़े डालते हुए …
Read More »न्याय: घर की नौकरानी की रोजमरा के दुखों से टिक-टोक
“पाँच हज़ार रुपये दे दो बाबूजी…” धन्नो बाबूजी के पैरों पर अपना सिर रखे दहाड़े मार कर रो रही थी और बाबूजी निर्विकार भाव से बैठकर पेपर पढ़ रहे थे। रोते-रोते धन्नों की हिचकियाँ बंध गई थी और आँखें सूजकर लाल हो चुकी थी पर बाबूजी किसी बुत की तरह बिना हिले डुले चुपचाप अपनी आरामकुर्सी पर बैठे हुए थे। …
Read More »रिश्ता: बनते बिगड़ते रिश्तों की अनकही कहानी
शानू, असलम चाचू आये है जरा दो कप चाय तो बनाकर लाना। “अदरक वाली… कड़क…” असलम चाचा बोले, जिन्हें मैं प्यार से चाचू बोलती थी। “घर में तो अदरक की फैक्टरी लगी है ना… अभी अभी कई देशों में भेजी है हमने…” कहते हुए दादी के पूजा घर में घंटे और घड़ियाल जोरों से घर में बजने लगे थे। मैंने …
Read More »एक गरीब की दर्द भरी कहानी: सेकंड हैंड
हर इतवार को गाड़ी धोने वाले राममेहर का चेहरा आज ख़ुशी से चमक रहा था। जैसे ही मैंने कार की चाभी पकड़ाई, वह हँसते हुए बोला – “साइकिल बहुत पुरानी हो गई थी, तो एक्टिवा ले ली मैंने…” मैंने कहा-“अरे वाह, आज तो नाश्ते के साथ मिठाई भी खाकर जाना”। “साहब एक बार ज़रा देख लेते” वह चहकते हुए बोला। …
Read More »उपकार: क्रिसमस पर बाल कहानी
“पापा… आपको पता है ना कि परसों क्रिसमस है।”पापा ने मुस्कुराते हुए आठ साल के हैरी की तरफ़ देखा जो अपनी भूरी आँखें उनके चेहरें की ओर गड़ाए बैठा था। उसके गोरे चेहरे पर घुँघराले भूरे बाल धूप में चमकने के कारण सुनहरे लग रहे थे।उन्होंने उसे प्यार से उठाकर गोदी में बैठा लिया।हैरी लड़ियाते हुए बोला – “इस साल …
Read More »क्रिसमस की कहानी
क्रिसमस एक ऐसा त्यौहार है जिसे शायद दुनिया के सर्वाधिक लोग पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। आज यह त्यौहार विदेशों में नहीं बल्कि भारत में भी समान जोश के साथ मनाया जाता है। भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति के साथ क्रिसमस का त्यौहार भी पूरी तरह घुल-मिल गया है। सदियों से यह त्यौहार लोगों को खुशियां बांटता और प्रेम और सौहार्द …
Read More »क्रिसमस और सांता क्लॉज़ का तोहफा: मंजरी शुक्ला
बहुत समय पहले की बात हैं। एक गाँव में एक बूढ़ी औरत मारिया अपने दस वर्ष के पोते जॉर्ज के साथ रहती थी। उसने अपने बाग़ में ढेर सारे फूल जैसे चंपा, जूही, गुलाब, गेंदा, आईरिस, गुलमोहर और आर्किड लगा रखे थे और एक छोटा सा तालाब भी बनाया था जिसमें हल्के लाल और सफ़ेद रंग के कमल के फूल खिले रहते थे।वह दिन …
Read More »नन्हें फ़रिश्ते: क्रिसमस के त्यौहार की दिल छू लेने वाली कहानी
क्रिसमस आने में सिर्फ़ दो दिन बाकी थे और हर साल की तरह पूरा शहर रौशनी में नहाया हुआ था। केक, पेस्ट्री और ताजे बिस्कुट की भीनी-भीनी महक से सबके कदम खुद ब खुद बेकरी की ओर खिंचे चले जा रहे थे। दर्ज़ी की दुकान में तो तिल रखने की भी जगह नहीं बची थी। बच्चे हो या बड़े, नए …
Read More »