Tag Archives: Hindi Poems on Hinduism

आ गया पावन दशहरा: दशहरा पर छोटे बच्चों के लिए हिंदी कविता

Inspirational Hindi Poem about Dussehra आ गया पावन दशहरा (विजय दशमी)

आ गया पावन दशहरा: दशहरा पर हिंदी कविता – भारत में दशहरा का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, देश के कुछ जगहों पर दशहरा का सेलिब्रेशन बहुत फेमस होता है। आ गया पावन दशहरा: सत्यनारायण सिंह आ गया पावन दशहरा फिर हमे सन्देश देने आ गया …

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चंद्रशेखर आजाद पर हिंदी कविता: भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी

चंद्रशेखर आजाद पर हिंदी कविता

चंद्रशेखर आजाद पर हिंदी कविता: चंद्रशेखर आजाद (23 जुलाई 1906 – 27 फ़रवरी 1931) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे शहीद राम प्रसाद बिस्मिल व शहीद भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। चंद्रशेखर आजाद: सुशील कुमार शर्मा की हिंदी कविता तुम आजाद थे, आजाद हो, आजाद रहोगे, भारत की जवानियों के तुम खून में …

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Ram Navami Songs & Devotional Bhajans

Ram Navami Songs: Hindu Culture & Traditions

Ram Navami Songs & Devotional Bhajans – Ram Navami is celebrated with extreme zeal and fervor throughout the India as the birthday of Lord Rama, the incarnation of Lord Vishnu. Shree Rama is regarded as the ideal incarnation of Vishnu in a human form. Lord Rama is like a guiding light for the human beings as various sagas of his …

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जय आद्या शक्ति आरती: अनुराधा पौडवाल

जय आद्या शक्ति आरती: अनुराधा पौडवाल

जय आद्या शक्ति आरती: अनुराधा पौडवाल –  ‘Navratri‘ literally translates to ‘nine nights’ and during these nine nights and ten days, Goddess Durga is worshiped with devout fervor and spirituality. The Sharad Navratri is observed with utmost enthusiasm and it usually falls during the month of September and October. It is the peak of festivity in India and the joy of …

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करवा चौथ का चाँद: Karva Chauth Poem

Karva Chauth Festival Hindi Poem करवा चौथ का चाँद

करवा चौथ का चाँद: Karva Chauth Poem – ‘करवा चौथ‘ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘करवा’ यानी ‘मिट्टी का बरतन’ और ‘चौथ’ यानि ‘चतुर्थी’। इस त्योहार पर मिट्टी के बरतन यानी करवे का विशेष महत्व माना गया है। सभी विवाहित स्त्रियां साल भर इस त्योहार का इंतजार करती हैं और इसकी सभी विधियों को बड़े श्रद्धा-भाव से पूरा …

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15 अगस्त 1947: सुमित्रानंदन पंत की कविता

15 अगस्त 1947 - सुमित्रानंदन पंत

15 अगस्त 1947 कविता: सुमित्रानंदन पंत (मई 20, 1900 – दिसंबर 28, 1977) हिंदी में छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनका जन्म अल्मोड़ा ज़िले के कौसानी नामक ग्राम में मई 20, 1900 को हुआ। जन्म के छह घंटे बाद ही माँ को क्रूर मृत्यु ने छीन लिया। शिशु को उसकी दादी ने पाला पोसा। शिशु …

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हनुमान चालीसा: पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति

हनुमान चालीसा: पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति

हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास की एक काव्यात्मक कृति है जिसमें प्रभु राम के महान भक्त हनुमान के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। यह अत्यन्त लघु रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। इसमें बजरंग बली‍ की भावपूर्ण वंदना तो है ही, श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया …

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शिवा-बावनी: कवि भूषण द्वारा शिवाजी की शौर्यगाथा

शिवा-बावनी: कवि भूषण द्वारा शिवाजी की शौर्यगाथा

शिवा बावनी भूषण द्वारा रचित बावन (52) छन्दों का काव्य है जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य, पराक्रम आदि का ओजपूर्ण वर्णन है। इसमें इस बात का वर्णन है कि किस प्रकार उन्होंने हिन्दू धर्म और राष्ट्र की रक्षा की। शिवा बावनी: महाकवि भूषण द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य, पराक्रम आदि का ओजपूर्ण वर्णन भूषण वैसे तो रीति काल …

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अहिल्याबाई होल्कर: महेश्वर की राजमाता

अहिल्याबाई होल्कर: महेश्वर की राजमाता

अहिल्याबाई होलकर (31 मई 1725 – 13 अगस्त 1795), मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी तथा इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खण्डेराव की धर्मपत्नी थीं। उन्होने माहेश्वर को राजधानी बनाकर शासन किया। अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मन्दिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए-काशी विश्वनाथ …

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स्वामी विवेकानंद जी की कविता: सागर के वक्ष पर

युवा दिवस: स्वामी विवेकानंद जयंती पर जानकारी

सागर के वक्ष पर: स्वामी विवेकानंद जी नील आकाश में बहते हैं मेघदल,श्वेत कृष्ण बहुरंग,तारतम्य उनमें तारल्य का दीखता,पीत भानु-मांगता है विदा,जलद रागछटा दिखलाते।बहती है अपने ही मन से समीर,गठन करता प्रभंजन,गढ़ क्षण में ही, दूसरे क्षण में मिटता है,कितने ही तरह के सत्य जो असम्भव हैं –जड़ जीव, वर्ण तथा रूप और भाव बहु।आती वह तुलाराशि जैसी,फिर बाद ही …

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