एक दुकान में ढेर सारे पटाखे सजे हुए रखे थे, जो दुकानदार ने दिवाली पर बेचने के लिए रखे हुए थे। पटाखों को यह देखकर बहुत दुःख होता था की जो बच्चे अच्छे कपड़े पहनकर अपने मम्मी पापा के साथ पटाखे लेने आते, उन्हें तो दुकानदार बड़े ही प्यार से पटाखे दिखता और बेचता पर जो बच्चे नंगे पैर और …
Read More »चुन्नू की इको फ्रेंडली दिवाली: जन जागरूकता पर कहानी
सात साल का चुन्नू सुबह से ही पटाखे खरीदने की जिद कर रहा था। वह पापा के पास आते हुए बोला – “पटाखे लेने चलो, मेरे सब दोस्त ले आये है”। “अरे, बेटा, तुम पहले अपना होमवर्क तो खत्म कर लो फ़िर समय नहीं मिलेगा”। “अभी तो स्कूल खुलने में चार दिन है, आप पहले पटाखे लेने चलो”। हारकर पापा …
Read More »प्रेरणादायक हिंदी बाल-कहानी: बिट्टू की दिवाली
बहुत सारे पटाखे, मिठाई और नए नए कपड़े चाहिए मुझे इस दिवाली पर… कहता हुआ नन्हा बिट्टू पैर पटककर माँ के सामने जमीन पर ही लोट गया। उसकी मम्मी ने अपनी हँसी को दबाते हुए कहा – “हाँ – हाँ, सब ले आयेंगे”। यह सुनकर बिट्टू बड़े ही लाड़ से माँ के गले में हाथ डालता हुआ फुसफुसाया, मानों किसी खजाने …
Read More »चूहों की दिवाली: चतुर चूहों की चटपटी कहानी
जब से चूहों को पता चला था कि दिवाली आने वाली है तो उनमें कानाफूसी शुरू हो गई थी। सबने मिलकर एक शाम को एक मीटिंग करने का निश्चय किया। छोटा चूहा, मोटा चूहा, लम्बा चूहा, नाटा चूहा, कोई भी नहीं छूटा… सब भागते हुए मीटिंग अटेंड करने जा पहुँचे थे। मीटिंग की राय देने वाले नाटू चूहे की तो ख़ुशी देखते ही बन …
Read More »हास्यप्रद बाल-कहानी: ऐसे मना दशहरा
“दशहरे पर मैं रावण देखने जाऊंगी” दस साल की चित्राणी ने एलान कर दिया। “और मैं हमेशा की तरह नहीं ले जाऊँगा” पापा ने अखबार पढ़ते हुए ही जवाब दिया। “क्या हो जाएगा, अगर हम लोग रावण देखने चले जाएँगे… पूरी दुनिया तो जाती है” मम्मी ने हर साल की तरह रटा रटाया वाक्य दोहराया। मम्मी की बात पर चित्राणी …
Read More »शिक्षाप्रद हिंदी कहानी: दिवाली की ऑनलाइन शॉपिंग
“ऑनलाइन शॉपिंग का क्या बुखार चढ़ा है तुम्हें”? रोहित आशीष के कमरे में घुसता हुआ बोला। “हा हा… कितने आराम से सभी चीज़े घर बैठे मिल जाती है और वो भी बहुत सस्ती” आशीष हँसते हुए बोला। “वो तो ठीक है, पर इसका मतलब ये तो नहीं कि तू पेन से लेकर पेंसिल तक ऑनलाइन ही ख़रीदे। हम सब दोस्तों …
Read More »शिक्षाप्रद हिंदी बाल-कहानी: बुद्धिमान बंजारा
एक बंजारा था। वह बैलों पर मेट (मुल्तानी मिट्टी) लादकर दिल्ली की तरफ आ रहा था। रास्ते में कई गांवों से गुजरते समय उसकी बहुत-सी मेट बिक गई। बैलों की पीठ पर लदे बोरे आधे तो खाली हो गए और आधे भरे रह गए। अब वे बैलों की पीठ पर टिके कैसे? क्योंकि भार एक तरफ हो गया। नौकरों ने …
Read More »चाँद और लम्बू जिराफ़ की दोस्ती पर हिंदी बाल-कहानी
रोज़ की तरह आज फ़िर खेल-खेल में चाँद सितारों की आपस में लड़ाई हो गई थी। चाँद बेचारा क्या करता, वह एक तरफ़ अकेला पड़ जाता और ढेर सारे सितारे एक तरफ़… आख़िर चाँद रूठ गया और बोला – “मैं जा रहा हूँ, धरती की ओर…” सितारे यह सुनकर घबरा गए। उन्होंने उसे बहुत मनाया। उसकी बड़ी खुशामद की, पर …
Read More »योग दिवस पर दिलचस्प कहानी: स्वीटू का प्राणायाम
आज सुबह से नीलू चिड़िया तालाब के किनारे बैठी अपनी सहेली स्वीटू मछली का बहुत देर से इंतज़ार कर रही थी पर स्वीटू का कहीं अता पता नहीं था। नीलू को अब भूख भी लगने लगी थी। उसने इधर उधर कुछ खाने के लिए ढूंढना शुरू किया। तभी कुछ दूरी पर चिप्स के टुकड़े देखकर उसके मुँह में पानी आ …
Read More »रबीन्द्रनाथ टैगोर की श्रेष्ठ कहानियों में से एक: अनमोल भेंट
रबीन्द्रनाथ टैगोर ज्यादातर अपनी पद्य कविताओं के लिए जाने जाते है, टैगोर ने अपने जीवनकाल में कई उपन्यास, निबंध, लघु कथाएँ, यात्रावृन्त, नाटक और हजारों गाने भी लिखे हैं। टैगोर की गद्य में लिखी उनकी छोटी कहानियों को शायद सबसे अधिक लोकप्रिय माना जाता है; इस प्रकार इन्हें वास्तव में बंगाली भाषा के संस्करण की उत्पत्ति का श्रेय दिया जाता …
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