अचानक ऐसा लगता हैं जैसे सब खत्म हो गया और दूसरे ही पल फिर सब कुछ पहले जैसा हो गया। क्या समुद्र के किनारे आराम से बैठकर मिट्टी के बड़े-बड़े महल बनाते बच्चों ने सोचा होगा कि केवल एक लहर, सिर्फ एक लहर ही काफ़ी हैं, अथक परिश्रम से बनाये गए उनके आलीशान महल को अपने साथ ले जाने के …
Read More »देवी: उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की लघुकथा
देवी: प्रेमचंद की लघुकथा देवी: उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की लघुकथा – रात भीग चुकी थी। मैं बरामदे में खड़ा था। सामने अमीनुद्दौला पार्क नींद में डूबा खड़ा था। सिर्फ एक औरत एक तकियादार बेंच पर बैठी हुई थी। पार्क के बाहर सड़क के किनारे एक फ़कीर खड़ा राहगीरों को दुआयें दे रहा था – खुदा और रसूल का वास्ता… …
Read More »पूस की रात: कथा सम्राट प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानी
पूस की रात: कथा सम्राट प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानी – कथा सम्राट प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 लमही, उत्तर प्रदेश, भारत – 8 अक्टूबर 1936 वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत) ने हिन्दी के खजाने में कई अनमोल रत्न जोड़े हैं। महज आठ साल की उम्र में प्रेमचंद की मां का स्वर्गवास होने और पिता द्वारा दूसरी शादी करने के चलते उनके बाल …
Read More »माँ: गरीब विधवा माँ और उसके दृढ़ निश्चय की कहानी
अरे, मम्मी… आप क्यों पैरेंट टीचर मीटिंग में चल रही है और फिर से वही पुरानी हरी साड़ी पहनकर। दस साल का चिंटू चिढ़चिढ़ाता हुआ बोला। पर उसकी मम्मी तो ख़ुशी के मारे फूली ही नहीं समा रही थी। शहर के सबसे बड़े स्कूल में एक-एक पाई इकठ्ठा करके उसने अपने इकलौते बेटे का एडमिशन बड़ी मुश्किलों से करवाया था। …
Read More »प्रतिशोध: नारी उत्पीड़न की कहानी – मंजरी शुक्ला
दूर से आती आवाज़ को कभी गौर से सुनना नहीं पड़ा और जो सामने था उसकी स्पष्ट आवाज़ कभी कानों में आई नहीं। क्या, क्यों और कैसे शब्दों का कोई अर्थ नहीं रह गया था। किसी शान्त नदी के किनारे या उफ़नते समुद्र के ज्वर भाटे उसे एक सा ही सुकून देते थे। उसे खुद भी नहीं पता होता कि …
Read More »गब्बू का हैप्पी न्यू ईयर: नव वर्ष के उपलक्ष में हिंदी कहानी
गब्बू भालू बेच तो गुब्बारे रहा था पर उसका पूरा ध्यान, पेड़ पर लगे शहद के छत्ते पर था। मधुमक्खियाँ भी कम शैतान नहीं थी। वे भी अपने छत्ते में आराम से बैठकर गब्बू को देख रही थी और हँस रही थी। उन्होंने टॉमी कुत्ते को थोड़ा सा शहद देकर अपनी तरफ़ मिला लिया था। टॉमी को शहद इतना पसँद …
Read More »अंशु की बा: कस्तूरबा गांधी के जीवन से प्रेरित कहानी
“मुझे तो समझ ही नहीं आता कि तुम इतनी दब्बू क्यों हो?” मनीषा ने गुस्से से कहा। “हाँ, जो भी आता है, तुम्हें चार बातें सुना कर चला जाता है” अंकुर ने तुरंत कहा। अंशू सिर झुकाये अपने दोस्तों की बातें चुपचाप सुन रही थी। “अब कुछ बोलोगी भी या नहीं?” मनीषा ने तेज आवाज़ में कहा। “मुझे लगता है …
Read More »धैर्य व सब्र पर प्रेरणादायक कहानी: धन जरना
किसी गांव में एक बुजुर्ग किसान हाथ में माला लिए प्रभु का सिमरन करता रहता था। बेटे-बहुएं, पोते-पोतियां घर में आते-जाते उसको माला पकड़े देखते और समझने की कोशिश करते कि पिता जी जो बोलते हैं वह सुनाई देता है पर समझ नहीं आता। वह किसान माला जपते-जपते “धन जरना, धन जरना” का शब्द उच्चारण करता। बेटे-बहुएं तो आदि हो …
Read More »राजा बन गया बंदर: घमंड में चूर राजा की प्रेरक कहानी
चंद्रपुर देश का राजा चाँदी सिंह दूर-दूर तक अपने सनकीपन के कारण मशहूर था। वह जब भी किसी बात को करने का ठान लेता तो पीछे ना हटता। कई बार तो उसकी मूर्खतापूर्ण बातों पर उसके मंत्री अपने सर पर हाथ रखकर बैठ जाते पर वे उससे कुछ ना कह पाते, क्योंकि चाँदी सिंह से कुछ भी कहने का अर्थ …
Read More »हँस दी गुड़िया: आजादी पाने की चाह
शो केस पर सजी हुई रंगबिरंगी गुड़िया बहुत देर से सड़क की और देख रही थी। कितने दिन हो गए थे, उसे फ़ैक्टरी से बन कर आये हुए, पर कोई भी अब तक खरीदने नहीं आया था।काँच की दीवार में रहना उसे बिलकुल पसंद नहीं था।उसने साथ खड़े झबरीले पूँछ वाले से मोती कुत्ते से पूछा – “दुकान के सभी …
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