Long Long ago there was a king in Jaisalmer whose name was Rawal Prithvi Singh. His kingdom was very prosperous. He built up his capital with latticed windows and large havelis (palaces). He also captured some areas of neighboring kingdoms. But he was not broadminded. His success made him unreasonable, foolish and haughty. One day, while he was in his …
Read More »Satya’s Marriage: Lord Krishna Stories For Kids
Satya was the most beautiful and most gifted girl in the world. She was a princess – the daughter of the rich and powerful King of Khosla. Her fame spread far and wide. Many royal princes asked the King of Khosla for her hand in marriage. Satya reached the age of marriage and the King had to find a suitable …
Read More »आज़ादी: शराबी शेर की कहानी
एक जंगल में कुछ शिकारी आये। उन्होंने जाल बिछाया और एक शेर को पकड लिया। पिंजरे में शेर को बंध कर वो शहर ले आये, एक वैज्ञानिक ने उस शेर को ऊंचे दाम देकर खरीद लिया। उस वैज्ञानिक का मासूम प्राणियो पर तरह तरह के प्रयोग करना मनपसंद विषय था। इंसानों द्वारा प्रयोग की जाने वाली चीजो का प्राणियो पर …
Read More »“अभी दिल्ली दूर है” की कहावत और हजरत निज़ामुद्दीन औलिया
मध्यकाल में दिल्ली ही नहीं बल्कि सारे भारत के जनजीवन पर सूफियों का बड़ा प्रभाव था। यद्यपि सुलतान इसलाम के पालक और संरक्षक थे, मुल्लों और कठमुल्लों के बहकावे मे आ कर हिंदू प्रजा पर मनमाने अत्याचार भी करते थे। लेकिन सुलतान के अधिकांश अमीरों, विशेषतः आम जनता का सूफीमत की ओर अधिक झुकाव था। सूफी धर्म भारत के अद्वैतवाद …
Read More »घर की मुर्गी दाल बराबर: कहानियां कहावतों की
फकीरा बहुत गरीब था। मेहनत मज़दूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था। घर में अधिकतर दाल रोटियां ही बनती थी। एकादि बार प्याज की चटनी भी चल जाती थी। फिर शाम को दाल। कभी कभी हरी सब्ज़ी बनती थी। मीट तो बकरीद के समय ही बन पाता था। कभी खरीदकर लाते थे। कभी किसी के यहाँ से आ …
Read More »घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने: कहानियां कहावतों की
एक गरीब परिवार था। उसका खर्चा जैसे तैसे चल रहा था। घर में कभी दाल रोटी कभी सब्ज़ी रोटी। लेकिन महीने में भी कई दिन ऐसे आते थे जब बिना दाल सब्ज़ी के गुजरा होता था। कभी प्याज नमक से रोटियाँ खाते कभी चटनी के साथ। सभी एकादी आलू बचा लेते तो उसे उबालकर भरता बना लेते। कभी …
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