अब्दाली की लूट - Invasion of Ahmad Shah Abdali

अब्दाली की लूट – Invasion of Ahmad Shah Abdali

अब्दाली ने कहा, “चुप, बदमाश, तुझे बगावत का मजा चखाता हूं।”

सुखजीवन ने कहा, “मैं तो मरने के लिए तैयार हो कर घर से निकला हूं। मुझे मरने का दुख नहीं है, बल्कि दुख तो केवल इस बात का है कि मुझे पूरी तैयारी करने का मौका नहीं मिला। नहीं तो पठानों के दांत खट्टे कर देता।”

“चुप कमीने, तुझे तडपातडपा कर मारा जाएगा,” अब्दाली ने इशारा किया। यमदूत की तरह दो विकराल अफगान उस की छाती चढ़ गए और उन्होंने छुरों की नोंक से छटपटाते हुए सुखजीवन की आंखें बाहर निकाल लीं। फिर उस का एकएक अंग काटा और उसे मार डाला।

जिन ब्राहाणों ने सुखजीवन का पक्ष लिया था, उन को भी कत्ल किया गया। अब्दाली को ब्राहाणों से बड़ी चिढ हो गई। कश्मीर में तब तक कुछ हजार ही ब्राहाण बच पाए थे, बाकी जातियों तो इसलाम में घुलमिल गई थीं। अब्दाली ने कश्मीर में ब्राहाणों के खिलाफ जो जिहाद बोला उस का परिणाम यह हुआ कि घाटी में हिंदू जनसंख्या लुप्त हो गई, औसत दस प्रतिशत से गिर कर पांच पर आ गया। कश्मीर अफगानों के हाथ रहा।

इसी बीच पंजाब में सिखों ने अपनी पूरी शक्ति जमा ली थी। पंजाब के एक बब्बर शेर ने जोर से दहाड़ मारी और सन 1818 में कश्मीर को अफगानों के चुंगल से मुक्त करा लिया। इस शेर का नाम था महाराजा रणजीतसिंह।

∼ राधेश्याम गोस्वामी

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