रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविताओं का हिंदी अनुवाद

रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविताओं का हिंदी अनुवाद

चीन्हूँ मैं चीन्हूँ तुम्हें ओ, विदेशिनी: रवीन्द्रनाथ ठाकुर

रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविता – Page 2

चीन्हूँ मैं चीन्हूँ तुम्हें ओ, विदेशिनी!
ओ, निवासिनी सिंधु पार की –
देखा है मैंने तुम्हें देखा, शरत प्रात में, माधवी रात में,
खींची है हृदय में मैंने रेखा, विदेशिनी!!
सुने हैं,सुने हैं तेरे गान, नभ से लगाए हुए कान,
सौंपे हैं तुम्हें ये प्राण, विदेशिनी!!
घूमा भुवन भर, आया नए देश,
मिला तेरे द्वार का सहारा विदेशिनी!!
अतिथि हूँ अतिथि, मैं तुम्हारा विदेशिनी!!

मूल बांगला से अनुवाद: प्रयाग शुक्ल

वन-वन में फागुन लगा, भाई रे!: रवीन्द्रनाथ ठाकुर

वन-वन में फागुन लगा, भाई रे!
पात पात फूल फूल डाल डाल
देता दिखाई रे!!
अंग रंग से रंग गया आकाश गान गान निखिल उदास।
चल चंचल पल्लव दल मन मर्मर संग।
हेरी ये अवनी के रंग।
करते (हैं) नभ का तप भंग।।
क्षण-क्षण में कम्पित है मौन।
आई हँसी उसकी ये आई रे।
वन-वन में दौड़ी बतास।
फूलों से मिलने को कुंजों के पास।।
सुर उसका पड़ता सुनाई रे!!

मूल बांगला से अनुवाद: प्रयाग शुक्ल

आया था चुनने को फूल यहाँ वन में: रवीन्द्रनाथ ठाकुर

आया मैं चुनने को फूल यहाँ वन में
जाने था क्या मेरे मन में
यह तो, पर नहीं, फूल चुनना
जानूँ ना मन ने क्या शुरू किया बुनना
जल मेरी आँखों से छलका,
उमड़ उठा कुछ तो इस मन में।

मूल बांगला से अनुवाद: प्रयाग शुक्ल

चुप-चुप रहना सखी: रवीन्द्रनाथ ठाकुर – रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविता

चुप-चुप रहना सखी, चुप-चुप हीरहना,
काँटा वो प्रेम का –
छाती में बींध उसे रखना
तुमको है मिली सुधा, मिटी नहीं अब तक
उसकी क्षुधा, भर दोगी उसमें क्या विष!
जलन अरे जिसकी सब बेधेगी मर्म,
उसे खींच बाहर क्यों रखना!!

मूल बांगला से अनुवाद: प्रयाग शुक्ल

Check Also

Easter Holiday: Kids Poetry on Easter

Easter Holiday: Kids Poetry on Resurrection of Jesus Christ

Easter Holiday: Easter is a Christian holiday that celebrates the belief in the resurrection of …