परिवर्तन - ठाकुर गोपालशरण सिंह Poetry about Changes in Life

परिवर्तन – ठाकुर गोपालशरण सिंह Poetry about Changes in Life

देखो यह जग का परिवर्तन

जिन कलियों को खिलते देखा
मृदु मारुत में हिलते देखा
प्रिय मधुपों से मिलते देखा
हो गया उन्हीं का आज दलन
देखो यह जग का परिवर्तन

रहती थी नित्य बहार जहाँ
बहती थी रस की धार जहाँ
था सुषमा का संसार जहाँ
है वहाँ आज बस ऊजड़ बन
देखो यह जग का परिवर्तन

था अतुल विभव का वास जहाँ
था जीवन में मधुमास जहाँ
था सन्तत हास विलास जहाँ
है आज वहाँ दुख का क्रंदन
देखो यह जग का परिवर्तन

जो देश समुन्नत–भाल रहे
नित सुखी स्वतंत्र विशाल रहे
जन–मानस–मंजु–कराल रहे
लो उनका भी हो गया पतन
देखो यह जग का परिवर्तन

~ ठाकुर गोपालशरण सिंह

आपको ठाकुर गोपालशरण सिंह जी की यह कविता “परिवर्तन” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

National Creators Award: Categories, Winners and Recognition

National Creators Award: Categories, Winners and Recognition

National Creators Award (NCA): Creators Awards 2024 took place on 08th March 2024, Prime minister …