ओमप्रकाश बजाज की बाल-कविताओं का संग्रह

बाल-कविताओं का संग्रह: ओमप्रकाश बजाज (भाग 2)

सर्दी: ओमप्रकाश बजाज

फिर आ गया आ गया जाड़ा,
गर्मी से मिला छुटकारा।

सुहाने लगी सुबह की धुप,
अच्छा लगता गर्म सूप।

किटकिटाते हैं दांत,
और ठिठुरते हैं हाथ।

चलती है ठंडी-ठंडी हवा,
मुंह से निकलता है धुआं।

सर्दी से सब का हाल बेहाल,
फट रहे बच्चों के गाल।

रजाई छोड़ने का मन नहीं होता,
मुंह धोने का भी साहस नहीं होता।

गर्म कपड़ो से सब लदे हुए हैं,
दुबले भी तगड़े बने हैं।

~ ओमप्रकाश बजाज

Check Also

Jesus Christ

A Good Friday: Short English Poetry on Crucifixion of Jesus

A Good Friday: Christina Georgina Rossetti Am I a stone, and not a sheep, That I …