
ऊपर से नीचे को आती
लाल हरी और नीली गेंद।
मम्मी पापा नाना नानी
रामु मीषु बबलू रानी
सबकी नयी सहेली गेंद।
घर में पिछवाड़े में खेली
गर्मी में जाड़े में खेली
हर दिल को हरियाली गेंद।
कभी जोर से टप्पा खाती
कभी लुढ़कती गिरती जाती
मन की बड़ी हठीली गेंद।
छोटे-छोटे कंचों जैसी
जप पूजा के मानकों जैसी
लकदक नयी नवेली गेंद।
कहीं किसी को लग ना जाये
कांच ना टूटे डांट ना खाये
मिल कर बड़ी संभाली गेंद।