Hindi Poem about Demonetization & New Year गया साल

गया साल: राजीव कृष्ण सक्सेना

यूँ तो हर साल गुजर जाता है
अबकी कुछ बात ही निराली है
कुछ गए दिन बहुत कठिन गुजरे
मन मुरादों की जेब खाली है।

कि एक फूल जिसका इंतजार सबको था
उसकी पहली कली है डाली पर
दिल में कुछ अजब सी उमंगें हैं
और नजरें सभी की माली पर

कि एक फूल जिसका इंतजार सबको था
उसकी खुशबू वतन को चूमेगी
दिल में विश्वास की किरण होगी
आँख कुछ स्वप्न देख झूमेगी

कि एक फूल जिसका इंतजार सबको था
उसकी खुशबू हमें जगाएगी
और अहसास यह भी होता है
अब तो यह मुल्क उठ खड़ा होगा
सबके मन की दुआ कुबूलेगा
सबकी उम्मीद पर खरा होगा।

~ राजीव कृष्ण सक्सेना

आपको राजीव कृष्ण सक्सेना जी की यह कविता “गया  साल” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

श्री डुल्या मारुति मंदिर, गणेशपेठ, पुणे, महाराष्ट्र

श्री डुल्या मारुति मंदिर, गणेशपेठ, पुणे, महाराष्ट्र

श्री डुल्या मारुति मंदिर: आज हम आपको पुणे के गणेशपेठ में स्थापित हनुमान मंदिर के बारे …