Haryanavi poem on lost Indian culture ढूंढते रह जाओगे

ढूंढते रह जाओगे Haryanavi poem on lost Indian culture

Haryanvi poem on lost Indian culture [2]

ढूंढते रह जाओगे: Harynvi poem

बटेऊआँ की शान
बहुआं की आन
पील गर्मियां मैं
गूँद सर्दियाँ मैं
ताऊ का हुक्का
ब्याह का रुक्का
बोरला नानी का
गंडासा सान्नी का
कातक का नहाण
मूंज के बाण
ढूंढते… !

चूल आली जोड़ी [किवाड़] गिनती मै कौड़ी
कोथली साम्मण की
रौनक दाम्मण की
पाटड़े पै नहाणा
पत्तल पै खाणा
छात्याँ मै खडंजे अर कड़ी
गुग्गा पीर की छड़ी
ढूँढते रह जाओगे!

लूणी घी की डली
गवार की फली
पाणी भरे देग
बाहण-बेटियां के नेग
ढूंढते… !

मोटे सूत की धोत्ती
घी बूरा अर रोटी
पीले चावलाँ का न्यौता
सात पोतियाँ पै पोत्ता
धौण धड़ी के बाट
मूँज – जेवड़ी की खाट
घी का माट
भुन्दे होए टाट
गुल्ली – डंडे का खेल
गुड की सेळ
ब्याह के बनवारे
सुहागी मैं छुहारे
ताँगे की सवारी
दूध की हारी
पेचदार पगड़ी
घोट्टे आली चुन्दडी
सर पै भरोट्टी
कमर पै चोट्टी
ढूढ़ते …!

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