Mahavir Jayanti Images

Mahavir Jayanti Images: Mahavir Photos

Mahavir Jayanti Images: Mahavir Photos

Mahavir Jayanti Images: There are some beautiful Jain temples in India, although the majority of Jain temples are much plainer structures.

Jain temples contain images of tirthankaras; either in seated meditation, or standing. A seated image or images is usually the focus of a temple interior. Jains make offerings to the images as part of their worship.

Jain temples range from the immense and elaborate to the very plainest of worship rooms.

The two largest Jain sects decorate their temples in different ways.

Digambara Jain temples have tirthankara statues that are undecorated and unpainted.

In Svetambara Jain temples the images are always decorated – with painted or glass eyes and sometimes ornaments of gold, silver, and jewels on the forehead. Further decoration is common.

Svetambara Jains decorate images richly for festivals using flowers, paints, and jewels, and make decorative offerings of flowers, leaves, sandalwood, saffron, camphor, gold or silver leaf, pearls, precious stones or costume jewellery.

These offerings are renewed daily as a gesture of devotion.

Mahavir Jayanti Images For Jains

जानिए जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के बारे में खास बातें…

जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकरभगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की 13वीं तिथि को हुआ था। इसलिए जैन धर्म के अनुयायी इसी तिथ‍ि पर महावीर जयंती मनाते हैं। भगवान महावीर को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। बता दें कि इनके बचपन का नाम वर्धमान था। आइए महावीरजी के जीवन से संबंध‍ित कुछ खास बातों के बारे में जानते हैं…

राजमहल का सुख त्‍याग अपनाई साधना

भगवान महावीर का जन्‍म एक क्षत्रिय राजपरिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम प्रियकारिणी था। महावीर जी के बचपन का नाम वर्धमान था। उन्होंने तीस वर्ष की उम्र में ही राजमहल के वैभवपूर्ण जीवन का परित्याग कर दिया। इसके बाद वह साधना की राह पर चले पड़े। उन्‍होंने अपने कठोर तप से सभी इच्छाओं और विकारों पर काबू पा लिया। तब वह वर्धमान से भगवान महावीर कहलाने लगे। लेकिन उनका सफर यहीं नहीं रुका। उन्‍होंने अपना पूरा जीवन जन कल्‍याण को समर्पित कर द‍िया। उन्‍होंने समाज में व्‍याप्‍त कुरूतियों और अंधव‍िश्‍वासों को दूर करने में योगदान द‍िया।

भगवान महावीर के तीन आधारभूत सिद्धांत

भगवान महावीर के तीन आधारभूत सिद्धांत हैं। इसमें सबसे पहले अहिंसा, दूसरा सत्‍य और तीसरा अनेकांत अस्‍तेय हैं। ये तीनों ही स‍िद्धांत लोगों को जीवन कैसे जीना है इसकी कला स‍िखाता है। यही नहीं यह आजकल की स्‍ट्रेसफुल लाइफ में भी इनका पालन करके सुख-शांति पाई जा सकती है। भगवान महावीर की अहिंसा केवल शारीरिक या बाहरी न होकर, मानसिक और आंतरिक जीवन से भी जुड़ी है। बता दें कि भगवान महावीर मन-वचन-कर्म, किसी भी माध्‍यम से की गई हिंसा का निषेध करते हैं।

जान‍िए क्‍या है अह‍िंसा का स्‍वरूप

भगवान महावीर ने अहिंसा के बारे में बताया कि केवल जीवों की रक्षा कर लेना या किसी भी प्राणी को तकलीफ न पहुंचाना ही अहिंसा नहीं है। बल्कि यदि किसी को हमारी मदद की आवश्यकता है और हम उसकी मदद कर भी सकते हों लेकिन फिर भी न कर रहे हों तो यह भी एक तरह की हिंसा ही है। इसलिए कभी भी किसी को भी मदद की जरूरत हो और आप सक्षम हों तो उसे मना न करें।

जान‍िए क्‍यों महावीर कहलाए तीर्थंकर

महावीर ने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका- इन चार तीर्थों की स्थापना की इसलिए तीर्थंकर कहलाए। यहां तीर्थ का अर्थ लौकिक तीर्थों से नहीं बल्कि अहिंसा, सत्य दूसरों की सहायता की साधना द्वारा अपनी आत्मा को ही तीर्थ बनाने से है। यही नहीं भगवान महावीर ने लोगों को अपने दूसरे सिद्धांतों यानी कि ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के जरिए पवत्रिता के गुणों का प्रदर्शन और चेतना जागृत करने की भी सीख दी। ताकि वस्‍तुओं की प्राप्ति के प्रति जो इच्‍छाएं हैं उनका अंत किया जा सके। साथ ही संयमपूर्वक जीवन जीकर समाज के प्रति अपने दायित्‍वों का निर्वहन किया जा सके।

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