बैंक्सी: रहस्यमय ब्रिटिश स्ट्रीट आर्टिस्ट

बैंक्सी: रहस्यमय ब्रिटिश स्ट्रीट आर्टिस्ट

25 सालों से कला जगत अंधेरे में है कि वास्तव में ब्रिटिश स्ट्रीट आर्टिस्ट ‘बैंक्सी’ कौन है। कुछ लोग यह रहस्य सुलझाने के करीब होने का दावा करते हैं परंतु फिलहाल किसी के पास इस सवाल का निश्चित उत्तर नहीं है।

दुनिया भर के कला प्रेमी ‘बैंक्सी’ की कला के प्रशंसक हैं परंतु विशेषज्ञ तथा जनता दो दशकों से अधिक समय से जो सवाल पूछ रहे हैं उसका उत्तर अभी तक नहीं मिला है कि आखिर बैंक्सी है कौन?

लम्बे वक्त से उसकी पहचान को लेकर कई तरह की अटकलें लगती रही हैं – क्या वह किसी म्यूजिक बैंड का मुख्य गायक है या वह कोई महिला है जो कई कलाकारों का नेतृत्व कर रही है?

हालांकि, जो पता है वह यहकि वह 1990 के दशक के अंत में लंदन आया जहां अपने विवादास्पद स्ट्रीट आर्ट के लिए जल्द ही सुर्खियां बटोरने लगा। इनमें आधुनिक समाज की कड़ी आलोचना नजर आती है और आमतौर पर वे युद्ध, फासीवादी और अत्यधिक उपभोक्तावाद पर कटाक्ष करती हैं।

लंदन में अभी भी देखी जा सकने वाली कुछेक मूल ‘बैंक्सी’ आर्ट्स में हैं ‘शॉप टिल यू ड्रॉप’ जिसमें एक शॉपिंग ट्रॉली से महिला को लटका दिखाया गया है। यह हाइड पार्क के पास एक घर की दीवार पर बनी है।

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‘बैंक्सी’ को लेकर तरह-तरह के दावे

बहुत से लोग मानते हैं कि ‘बैंक्सी’ दक्षिण इंगलैंड के शहर ब्रिस्टल का रहने वाला कोई 40 साल का शख्स है। 2017 में ब्रिटिश डी.जे. गोल्डी एक पॉडकास्ट इंटरव्यू के दौरान अचानक उसे ‘रॉबर्ट’ नाम से पुकार बैठा था।

इसके बाद अटकलें तेज हो गईं कि बैंक्सी वास्तव में ब्रिटिश म्यूजिक बैंड ‘मैसिव अटैक’ का मुख्य सदस्य रॉबर्ट डेल नाजा हो सकता है जो ब्रिस्टल से ही है।

2016 में स्कॉटिश संगीत पत्रकार क्रेग विलियम्स ने एक लेख में दावा करते हुए लिखा था कि रॉबर्ट डेल नाजा ही वास्तव में ‘बैंक्सी’ है। इस दावे के पक्ष में उनका दलील थी कि बैंक्सी की नई पेंटिंग्स उन जगहों पर सामने आई हैं जहां रॉबर्ट के बैंड ‘मैसिव अटैक’ के शो हुए हैं।

उदाहरण के लिए 1 मई, 2010 को ‘बैंक्सी’ की 6 नई स्ट्रीट आर्ट्स सान फ्रांसिस्को में देखाई दी थीं जहां बैंड ने एक शो किया था। उसी साल 9 मई को टोरंटो में 3 नई स्ट्रीट आर्ट्स दिखाई दी जहां 7 और 9 मई को उनके शो हुए थे। क्रेग की सूची लंबी और काफी ठोस है। हालांकि, रॉबर्ट डेल नाजा ऐसी अटकलों से साफ इंकार करते हैं। वैसे दो साल पहले उन्होंने कहा था कि वह ‘बैक्सी’ के दोस्त अवश्य रहे हैं।

ब्रिस्टल के ही स्ट्रीट आर्टिस्ट रॉबिन कनींघम पर भी ‘बैंक्सी’ होने का संदेश है। 2008 से यह दावा की लोग कर रहे हैं और 8 साल बाद इसका समर्थन लंदन की क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में भी किया गया था।

सामान्य रूप से अपराध विज्ञान में इस्तेमाल होने वाली तकनीकों का उपयोग करके शोधकर्ताओं ने ‘बैंक्सी’ की स्ट्रीट आर्ट की लोकेशनों तथा रॉबिन कनिंघम के बीच संबंध स्थापित किए थे। यह संदेश और बढ़ जाता है जब पता चलता है कि ‘बैंक्सी’ अपनी किताबें ‘रॉबिन बैंक्सी’ के नाम से प्रकाशित करता है।

किसी दावे की पुष्टि नहीं हुई

बेशक ये दावे कितने भी ठोस क्यों न प्रतीत होते हों, अभी भी अप्रमाणित हैं। ऐसे में ‘बैंक्सी’ की सच्चाई को लेकर आज भी तरह-तरह के दावे तथा अटकलें लग रही हैं।

2010 में ‘बैंक्सी’ ने उपभोक्तावाद पर कटाक्ष करती एक फिल्म ‘एग्जिट थ्रू द गिफ्ट शॉप’ रिलीज की थी जिसे अगले साल ऑस्कर के लिए भी नामांकित किया गया था।

फिल्म में लॉस एंजल्स में रहने वाली स्ट्रीट आर्टिस्ट थिएरी गेटा जो को दिखाय गया था। इससे कुछ लोगों का मानना है वही वास्तव में ‘बैंक्सी’ हैं जबकि कई अन्यों ने इस विचार को हास्यस्पद बताया।

एक अन्य दावा है कि ‘बैंक्सी’ कोई एक व्यक्ति नहीं है। 2014 के वृत्तचित्र ‘बैंक्सी डज न्यूयार्क’ इस सिद्धांत को दर्शाती है कि बैंक्सी की कला के पीछे वास्तव में 7 महिला कलाकारों का समूह है। दलील दी गई कि ‘बैक्सी’ की कलाकृतियों में अक्सर सामाजिक अन्याय की बात होती है और बच्चों को भी खूब चित्रित किया जाता है।

हालांकि, ‘बैंक्सी’ को लेकर यह सारी जिज्ञासा से स्पष्ट है कि उसकी कला महत्व काफी हद तक उसके रहस्य में ही निहित है।

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