भारत की बॉक्सिंग कैपिटल - भिवानी

भारत की बॉक्सिंग कैपिटल – भिवानी

हरियाणा के भिवानी कस्बे में सूर्य की पहली किरण के साथ ही बॉक्सिंग क्लब में सीटियों की आवाज़े सुनाई देने लगती हैं। इनमें से कुछ अपनी एकैडमी के बरामदे में खड़े कोच जगदीश सिंह की ओर से भी आती हैं। युवाओ को और जोश से व्यायम करने तथा मुक्के के लिए उत्साहित करते हुए उनके एक हाथ में सीटी तो दूसरे में एक स्टॉपवॉच दिखाई देती है। रोज सुबह 2 घंटे वह अपनी एकैडमी के लड़के-लड़कियों को बॉक्सिंग का गहन प्रशिक्षत देते हैं। इस दौरान उनके छात्र रस्सी पर चढ़ने, तरह-तरह के भार उठाने, एक हाथ से दंड लगाने, शॉट पुट गेंद फैकने, छलांग लगाने, रेत से भरे बोरों को मुक्के मारने से लेकर टायरों पर भारी हथौड़े से लगातार वार करने जैसे कुछ कठिन व्यायम करते है।

इनका मकसद इन्हें बॉक्सिंग के कठिन खेल के लिए तैयार करना है ताकि इनका शरीर इस खेल के लिए हर तरह से शक्तिशाली हो जाए।
गर्मी के मौसम में तो खिलाड़ियों के पसीने की गिरती बूंदो से फर्श को भीगते देर नहीं लगती है।

हरियाणा का भिवानी यूं तो देश का एक आम-सा कस्बा ही प्रतीत है जहां अभी आधुनिकता ने ज्यादा पैर नहीं पसारे है। टूंटी सड़कों की यहां भी कोई कमी नहीं है परंतु हाल के वर्षो में इस कस्बे ने केवल देश ही नहीं, सम्पूर्ण उपमहाद्वीप के ‘बॉक्सिंग कैपिटन‘ यानी ‘मुक्केबाजी की राजधानी‘ के रूप में ख्याति अर्जित कर ली है।

Boxer getting ready for morning jog
Boxer getting ready for morning jog

यहाँ हर ओर जॉगिंग करते लोग दिखाई देते है। कस्बे में कम से कम 8 बॉक्सिंग क्लब सक्रिय हैं। बीजिंग ओलिम्पिक्स में तीनों भारतीय क्वार्टर फाइनलिस्ट खिलाडी भिवानी से ही थे। शुरुआत में यहाँ केवल लड़के ही पेशेवर बॉक्सिंग खिलाडी बनना चाहते थे परंतु अब लड़कियां भी बढ़-चढ़ कर इस खेल में रूचि ले रही है।

गत वर्ष मई में सविता गोतरा (50 किलोग्राम वर्ग) तथा साक्षी धनना (54 किलोग्राम वर्ग) ने ताइपेई में जूनियर बॉक्सिंग वर्ल्ड कप में स्वर्ग पदक जीते। रजत पदक पर कस्बे की ही सोनिया गोथरा (48 किलोग्राम वर्ग) ने कब्जा किया।

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