सवाल मेरे - जवाब मेरी आत्मा के

सवाल मेरे – जवाब मेरी आत्मा के

आज फिर से वह अस्पष्ट आकृती मेरे सामने आई मंद मंद मुस्कुराते हुए उसने पुछा “इतना खुश क्यो हो पगले!”

आखरी शब्द को सुना अनसुना कर मैंने कहा “आत्माजी कल मेरा जन्मदिन है!”

मेरी आत्मा बोली “मतलब?”

मैं: मतलब आज के दिन ही मेरा जन्म हुआ था!

आत्मा: तेरा जन्म कब हुआ?

मैंने कहा: २९/०९/@#$#

आत्मा: तो इससे पहेले तू कहा था?

मैंने कहा “स्वर्ग में… ”

आत्मा ने उसी शांतता से फिर वही सवाल दोहराया :फिर तेरा जन्म कब हुआ?”

मैं सोच में पड गया।

आत्मा बोली: “ठीक है अब ये बता तू कब तक जीवित है?”

मैंने कहा: जब तक मेरे शरीर में आत्मा है!

आत्मा: हममम… मतलब आत्मा आई तो तु जीवत हो गया और आत्मा गई तो तू मर गया… तेरा खेल खलास सही है न?

मैं: हाँ – एकदम सही!

आत्मा: याने आत्मा से ही तेरा अस्तित्व है ये तो तू मानता है न?

मैं: हाँ…

आत्मा: तो फिर में तेरे इस शरीर में आई कहाँ से – और गई कहाँ?

मैं: अब हर वक़्त गोल गोल बाते कर दिमाग मत खराब करो, कहो – क्या कहने ओर समझाने आई हो?
आत्मा ने हंस कर कहा: “में तो बस यही कहने आई हुं कि तू जन्म ओर मृत्यू के लफडे में मत पड!”

मैं: मतलब?

आत्मा: तू जानता है न? आत्मा अजर अमर है? जिस दिन इस सृष्टी का निर्माण हुआ तबसे पगले तेरा जन्म हुआ और तू जानता है – जिस तरह से तेरा ये शरीर हर रोज कपडे बदलता है उसी तरह से मैं याने तेरी आत्मा देह बदलती है! इस शरीर में क्षण के लिए आई और क्षण के बाद इस शरीर को छोड दुंगी! तो पगले आत्मा के ये शरीर रूपी देह को बदलने कि प्रक्रिया पे क्या खुश होना? ओर क्या दुखी होना?

मैं: ये हर रोज देह बदलना में कुछ समजा नही?

आत्मा: तेरा शरीर इस धरती के समय के साथ जुडा है इसलिये तेरा दिन ओर रात का समय मुझसे अलग है जब कि मैं अमर, अजय, आत्मा ब्रह्म समय से जुडी हूँ – यहा के सौ साल – वहां का एक क्षण है! इसलिए तो कहती हूँ कि पगले इस क्षणीक देह बदलने कि मेरी प्रक्रिया पे इतना खुश मत हो, ओर देह छोडने कि क्रिया पर दुखी मत हो। तु जानता है? हर रात तू मरता है – ओर हर सुबह तेरा जन्म होता है! रोज सुबह उठकर इस तरह से जीवन व्यतीत कर की तेरा जीवन सिर्फ एक दिन का है! कल का क्या भरोसा! मुझे कोई दुसरा देह भा जाये!

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