छठ पूजाः जानें, क्यों मनाया जाता यह महापर्व

छठ पूजा महापर्व: जानें, क्यों मनाया जाता है

छठ पूजा महापर्व – कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को आयोजित किया जाने वाला छठ का पर्व वास्तव में सूर्य की उपासना का पर्व है। इसलिए इसे सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इसमें सूर्य की उपासना उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है।

ऐसा विश्वास है कि इस दिन सूर्यदेव की अराधना करने से व्रती को सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस पर्व के आयोजन का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी पाया जाता है। इस दिन पुण्यसलिला नदियों, तालाब या फिर किसी पोखर के किनारे पर पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसका आयोजन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी पर इसका समापन होता है।

भारत के पूर्वी प्रदेशों में इस पर्व को विशेष रूप से मनाया जाता है। छठ पूजा के लिए चार दिन महत्वपूर्ण हैं – नहाय-खाय, खरना या लोहंडा, सांझा अर्घ्य और सूर्योदय अर्घ्य। छठ की पूजा में गन्ना, फल, डाला और सूप आदि का प्रयोग किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य और छठी मइया मां-बेटे का संबंध हैं।

कहा जाता है कि इस व्रत को निष्ठ के साथ करने वाले को योग्य संतान की प्राप्ति होती है। छठ पूजा में उपासक पानी में कमर तक खड़े होकर दीप जलाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और छठी मैया के गीत गाते हैं। व्रत के पहले दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता ह। दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना किया जाता है।

पंचमी को खरना किया जाता है। पंचमी को दिनभर खरना का व्रत रखने वाले उपासक शाम के वक्त गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। खरना पूजन से ही घर में देवी षष्ठी का आगमन माना जाता है।

छठ पूजा महापर्व: नहाय-खाय से की जाती है छ्ठ पर्व की शुरुआत, जानिए क्यों

किसी भी पूजा से पहले नहाना सबसे जरूरी होता है। नहा-धोकर, नए वस्त्र पहनकर ही पूजा-पाठ की तैयारियां की जाती हैं। बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाए जाने वाले चार दिनों तक चलने वाले छ्ठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, यानी पहले दिन सबसे पहले स्नान कर शुद्ध होना अहम माना जाता है। इस दिन सुबह-सुबह नहा धोकर सबसे पहले खुद को पवित्र किया जाता है। ऐसे करें छ्ठ पर्व के पहले दिन की शुरुआत:

  • नहाय-खाय के दिन सबसे पहले घर की पूरी साफ-सफाई की जाती है और फिर किसी नदी या तालाब के पानी से नहा कर साफ वस्त्र पहने जाते हैं।
  • नहाय खाय के दिन गंगा स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
  • छठ करने वाली व्रती महिला या पुरुष शुद्ध घी में चने की दाल और लौकी की सब्जी बनाते हैं।
  • छ्ठ के पहले ही दिन से नमक का त्याग कर दिया जाता है। केवल सेंधा नमक का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • खाने में कद्दू और अरवा चावल जरूर बनया जाता है।
  • सूर्य को भोग लगाकर व्रती दिन में केवल एक बार ही भोजन ग्रहण करते हैं। घर के सभी सदस्य भी यही खाते हैं।
  • भोजन पूरी तरह से शुद्ध शाकाहारी ही बनाया जाता है।

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