Bhai Dooj Festival in Hindi भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक त्यौहार भैया दूज

भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक त्यौहार भैया दूज

भाई बहन के परस्पर प्रेम तथा स्नेह का प्रतीक त्यौहार भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को दीपावली के बाद पुरे भारत देश में आदिकाल से मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाई को तिलक लगाकर उनके उज्ज्वल भविष्य व उनकी लंबी उम्र के कामना करती है।

भैया दूज वाले दिन आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं। इस चौक पर भाई को बिठा कर बहने उनके हाथो की पूजा करती है। सबसे पहले बहन अपने भाई के हाथो पर चावलो का घोल लगाती है। उसके ऊपर सिंदूर लगा कर फूल, पान, सुपारी तथा मुद्रा रख कर धीरे-धीरे हाथो पर पानी छोड़ते हुए मन्त्र बोलती है:

‘गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को।
सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बड़े फुले फले।’

इसके उपरांत बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगा कर कलावा बांधती है तथा भाई के मुह मिठाई, मिश्री, माखन लगाती है। घर पर भाई सभी प्रकार से प्रसंचित जीवन व्यतीत करे, ऐसे मंगल कामना करते है। लंबी उम्र प्रार्थना करते है। उसके उपरांत यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जला कर घर की दहलीज के बहार रखती है जिससे उसके घर में किसी प्रकार का विघ्न बाधाएं न आये और वह सुखमय जीवन व्यतीत करे।

इस सम्बन्ध में एक कथा प्रचलित है। सूर्य भगवान् की पत्नी संज्ञा देवी की दो संताने हुई पुत्र यमराज एव पुत्री यमुना। एक बार संज्ञा देवी अपने पति सूर्य की उदीप्त किरणों के सहन न कर सकी तथा उत्तरी ध्रुव प्रदेश में छाया बनकर रहने चली गयी। उसी छाया में ताप्ती नदी एव शनि देव का जन्म हुआ। छाया का व्यवहार यम एव यमुना से विमाता जैसा था।

इससे खिन्न होकर यम ने अपनी अलग यमपुरी बसाई। यमुना अपने भाई को यमपूरी में पापियो को दण्डित करने का कार्य करते देख गोलोक चली आयी। यम एव यमुना काफी समय तक अलग अलग रहे। यमुना ने कई बार अपने भाई यम को अपने घर आने का निमंत्रण दिया परन्तु यम यमुना के घर न आ सका। काफी समय बीत जाने पर यम ने अपनी बहन यमुना से मिलने का मन बनाया तथा अपने दूतो को आदेश दिया की पता लागए की यमुना कहाँ रह रही है।

गोलोक में विश्राम घाट पर यम की यमुना से भेंट हुई। यमुना अपने भाई यम को देख कर हर्ष से फूली न समाई। उसने हर्ष विभोर हो अपने भाई का आदर सम्मान किया। उन्हें अनेको प्रकार के व्यंजन खिलाये। यम ने यमुना द्वारा किये सत्कार से प्रभावित होकर यमुना को वर मांगने को कहा। उसने अपने भाई से कहा की यदि वर देना चाहते है तो मुझे यह वरदान दीजिये की जो लोग आज के दिन यमुना नगरी में विश्राम घाट पर यमुना में स्न्नान तथा अपनी बहन के घर भोजन करे वे तुम्हरे लोक को न जाये। यम ने यमुना के मुह से ये शब्द सुन कर ‘तथास्तु’ कहा। तभी से भैया दूज का त्यौहार मनाया जाने लगा।

Check Also

Navratri Aarti In Hindi: माँ जय आद्य शक्ति आरती और जय अम्बे गौरी मैया

Navratri Aarti In Hindi: माँ जय आद्य शक्ति आरती और जय अम्बे गौरी मैया

Navratri Aarti: Navratri Devotional Bhajans And Songs: India is a land of colorful and vibrant …