सांस्कृतिक सौहार्द का पर्व वसंत पंचमी: Hindu Culture & Traditions

सांस्कृतिक सौहार्द का पर्व वसंत पंचमी: Hindu Culture & Traditions

जीवन में परिवर्तन अति आवश्यक है। वसंत ऋतु परिवर्तन की घोतक है इसलिए इस ऋतु के आगमन को वसंत पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। शीत ऋतु से जड़त्व को प्राप्त हुई प्रकृति वसंत ऋतु के आगमन से चेतनता को प्राप्त हो जाती है। प्रकृति का माधुर्य वातावरण में नई उमंग तथा नवविवचार का सर्जन करता है।

प्रकृति अपने मनमोहक रूप को धारण करती है जो कि मानसिक एवं प्रदान करने वाला होता है। वसंत पंचमी का पर्व सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा ऐतिहासिक इत्यादि सभी दृष्टिकोण से महत्व का पर्व है।

विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म दिवस वसंत पंचमी है। मां भगवती सरस्वती समस्त अविद्या तथा जड़ता को हरने वाली हैं। विद्या आरंभ हेतु सभी के लिए मां सरस्वती का पूजन परम आवश्यक है। वाणी, बुद्धि, विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की आराधना तो भगवान अच्युत, ब्रह्मा जी तथा भगवान शंकर भी करते हैं। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार मां सरस्वती भगवान श्री कृष्ण जी के कंठ से प्रकट हुईं तथा श्वेत वस्त्र तथा हाथों में सदैव वीणा धारण किए रहती हैं। पुराणों में कहा गया है कि सरस्वती से खुश होकर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें यह वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन उनकी आराधना की जाएगी।

या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संसिथता
नमस्तसयै नमस्तसयै  नमस्तसयै नमो नमः।।

अर्थातः जो देवी सर्व भूतों में विद्या रूप से स्थित हैं उन आद्या शक्ति को नमस्कार है, नमस्कार है, नमस्कार है। 

वसंत पंचमी पर्व में पीले रंग का बहुत महत्व है। भगवान श्री कृष्ण जी को पीत वस्त्र बहुत प्रिय हैं तथा वह स्वयं श्री गीता जी में कहते हैं कि ऋतुओं में वसंत ऋतु मैं हूं।

इस दिन पिले रंग का विशेष महत्व है। पीला रंग बुद्धि का परिचायक है। इस दिन लोग अपने घरों को पिले फूलों से सजाते और पीले रंग के परिधान पहनते हैं।

वैसे इस पर्व का सनातन नाम श्रीपंचमी है, वसंत पंचमी नहीं। यह पर्व लक्ष्मी की आराधना का पर्व भी है क्योंकि पुराणों के अनुसार इसी दिन सिंधुसुता रमा ने विष्णु के कंठ में जयमाला डालकर उनका वरण किया था। इस प्रकार यह सृष्टि के पालक और वैभव की शक्ति के विवाह तथा मिलन का महोत्सव भी है। इसी दिन प्रतिभा का नवोन्मेष हुआ और पुरुष वैभव के सौंदर्य और सौष्ठव से अलंकृत हो उठा। रमा और विष्णु का विवाह अर्थात सौंदर्य, संपति तथा सुषमा द्वारा पालक तत्व का वरण जिसके परिणामस्वरूप अंतर का उल्लास सहसा ही उच्छलित होने लगा।

वसंत पंचमी वाले दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा व आजादी की अलख सबसे पहले जगाने वाले सतगुरु राम सिंह का जन्मदिन भी मनाया जाता है। इन्होंने गौ-हत्या के विरुद्ध अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज उठाई थी। इसी दिन हिन्दी के यशस्वी कवि पं. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्मदिन भी होता है एवं निराला जयंती भी मनाई जाती है।

ऋतुराज वसंत का महत्व आयुर्वेद के आचार्यों ने भी स्वीकार किया है। इस ऋतु में शरीर में नवीन रक्त संचार होता है। मनुष्य में आलस्य के स्थान पर चुस्ती आ जाती है। वेद कहता है कि वसंते भ्रमणं पथ्य अर्थात वसंत ऋतु सैर अत्यन्त लाभप्रद है। इस ऋतू में किया गया व्यायाम अन्य ऋतुओं की अपेक्षा कई गुणा अधिक लाभदायक होता है।

वसंत पर पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व है। इस दिन बच्चे-बड़े सभी पतंग उड़ाते हैं। इसी दिन से अखाड़े सजने लगते हैं।

खेलकूद दंगल-कुश्ती आदि के आयोजन शुरू हो जाते हैं। बच्चों की नई कक्षाएं शुरू हो जाती हैं। नए संकल्प नए जोश के साथ लोग अपना नया व्यवसाय शुरू करते हैं।

वसंत ऋतु से हमें कई प्रकार की शिक्षाएं मिलती हैं। चारों ओर हस्ती हुई प्रकृति संसार को हंसमुख रहने का आदेश देती है। वसंत ऋतु में जहां प्रकृति अपना पूर्ण श्रृंगार करती है, वहीं इस दिन मंदिरों में भगवान की प्रतिमा का वसंती वस्त्रों एवं पुष्पों से श्रंगार किया जाता है और सारा वातावरण सुरमय हो उठता है।

परिवर्तन  संसार का नियम है। सुख-दुख, लाभ-हानि, यश-अपयश संसार के घटनाक्रम में आते हैं। सुख आने पर प्रसन्नता, दुख  आने पर विषाद मनुष्य के स्वाभाविक गुण हैं, लेकिन सत्वगुण ज्ञान प्रधान है। जिस प्रकार सत्वगुण की अभिव्रद्धि होने पर ज्ञानी पुरुष सुख-दुख, जय-पराजय को समान समझता है। इस स्थिति में वह सात्विक आनंद को अनुभव करता है। ठीक उसी प्रकार वसंत ऋतु अत्यधिक शीत एवं ऊष्णता के प्रभाव से मुक्त होकर मानव जीवन में मधुरता प्रदान करती है।

वसंत पंचमी सांस्कृतिक सौहार्द का पर्व है। प्रकृति की आलौकिक सुंदरता से अभिभूत सभी जीव-जंतु इस ऋतु की स्वर लहरियों में खो जाते हैं।

विद्या बुद्धि तथा ओजस्वी वाणी प्रदान करने वाली आद्या शक्ति मां सरस्वती की पूजा-अर्चना कर सभी विद्याओं तथा कलाओं में निपुणता प्राप्त कर सकते हैं जिनकी आराधना कर सभी ऋषि-मुनि मुक्ति द्वार तक पहुंचे।

Check Also

World Heritage Day Information For Students

World Heritage Day: International Day for Monuments and Sites

World Heritage Day [International Day for Monuments and Sites]: Ancient monuments and buildings in the …