Stories in Hindi

दो बैलों की कथा: मुंशी प्रेमचंद की लोकप्रिय हिंदी कहानी

Munshi Premchand Classic Hindi Story दो बैलों की कथा

कथाकार मुंशी प्रेमचंद भारत के ही नहीं, दुनियाभर में विख्यात हुए और ‘कथा सम्राट‘ कहलाए। प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई को बड़े ही उत्‍साह से मनाई जाती  है। इस खास मौके पर उनकी कहानी ‘दो बैलों की कथा‘ पढ़कर अपनी यादें ताजा कर लीजिए… दो बैलों की कथा [1]: हीरा और मोती जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझा जाता …

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बड़े घर की बेटी: ग्रामीण घर गृहस्थी पर मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी

Munshi Premchand Short Story Bade Ghar Ki Beti in Hindi बड़े घर की बेटी

बड़े घर की बेटी मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखित प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी में उन्होंने संयुक्त परिवार में उत्पन्न होने वाली समस्याओं, कलहों, बात का बतंगड़ बन जाने और फिर आपसी समझदारी से बिगड़ती परिस्थिति को सामान्य करने का हुनर को दर्शाया है। बड़े घर की बेटी में कहानीकार ने पारिवारिक मनोविज्ञान को बड़ी ही सूक्ष्मता से बेनीमाधव सिंह, …

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दोस्त की पहचान: मुसीबत में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है

दोस्त की पहचान: मुसीबत में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है

दोस्त की पहचान: केशव प्रसाद दो महीनों से बहुत परेशान थे। उनके इकलौते बेटे का नाम तो उसकी दादी ने प्रेम कुमार रखा था पर सभी उसे लव कह कर बुलाते थे। लव 10वीं कक्षा तक तो ठीक था, पर कालेज में दाखिला लेते ही उसके रंग अलग ही नजर आने लगे थे। शाम को घर से निकलना और देर …

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हैप्पी टीचर्स डे: डॉ. मंजरी शुक्ला – दिल को छू लेने वाली हिंदी बाल-कहानी

हैप्पी टीचर्स डे: दिल को छू लेने वाली हिंदी बाल-कहानी

आज जब रोहित स्कूल के लिए निकला तो उसे घर के सामने वाली सड़क पर उसी की उम्र का बच्चा फूल बेचते हुए दिखा। रोहित को लगा कि उसने उस लड़के को पहले भी कहीं देखा है। वह बहुत गौर से उसे देखने लगा पर बहुत याद करने पर भी उसे कुछ याद नहीं आया। कई बार रोहित सड़क पर …

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एक रात के निम्बू: दादी और मेरी मोबाइल की लत – एक शिक्षाप्रद हिंदी कहानी

एक रात के निम्बू: दादी और मेरी मोबाइल की लत - एक शिक्षाप्रद हिंदी कहानी

एक रात के निम्बू: हमारे साथ रहने के लिए गांव से दादी जी आई। सब उनसे अच्छी तरह से मिले। बल्लू ने भी उन्हें प्रणाम किया, उसके बाद अपने मोबाइल में डूब गया। दादी जी ने उलाहना दिया, “बल्‍लू जब तू छोटा था, मुझे एक मिनट के लिए भी नहीं छोड़ता था। अब तुझे मेरी कोई परवाह नहीं!” “नहीं-नहीं, दादी …

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रुपए पर लिखना पड़ा महंगा: भारतीय मुद्रा का अपमान कानूनी अपराध है

रूपए पर लिखना पड़ा महंगा: भारतीय मुद्रा का अपमान कानूनी अपराध है

रुपए पर लिखना पड़ा महंगा: दीपक सातवी कक्षा में पढ़ने वाला एक होनहार छात्र था। उसी के पड़ोस में एक बंटी नाम का लड़का रहता था जो उसका दोस्त था। एक दिन बंटी के साथ वह हिंदी की पुस्तक खरीदने दुकान पर गया पर किताब उपलब्ध नहीं होने की वजह से दुकानदार ने बंटी को अपना मोबाईल नंबर दे दिया। …

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नेक दिली: प्रवासी पक्षी और बड़ोपल झील किनारे बरगद के पेड़ की कहानी

नेक दिली: बगुलों का एक झुंड साइबेरिया से हजारों किलोमीटर की यात्रा करके भारत के बड़ोपल झील में सर्दियों की छुट्टी मनाने आता है। चूंकि साइबेरिया में सर्दियों में बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है इसलिए साइबेरियन बगुले – ग्रेट फ्लेमिंगो, वाटर फ्लेमिंगो, राजहंस आदि अपने परिवारों सहित हजारों की संख्या में बड़ोपल झौल में मस्ती व उछल-कूद करने आते हैं …

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पुरस्कार का असली हकदार: गरीब माँ-बाप के होनहार बेटे की शिक्षाप्रद कहानी

पुरस्कार का असली हकदार: गरीब माँ-बाप के होनहार बेटे की शिक्षाप्रद कहानी

पुरस्कार का असली हकदार: हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सोनू के स्कूल में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह होने वाला था, मगर इस बार इसे लेकर सोनू अति उत्साहित था क्योंकि उसने 10वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था, जिसके लिए उसे भी सम्मानित किया जाना था। उसके अध्यापकों ने उसे हिदायत दी कि पुरस्कार ग्रहण करने के लिए …

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गोलू की मुस्कान: साइकिल की टक्कर का पश्चाताप पर प्रेरणादायक हिंदी कहानी

गोलू की मुस्कान: साइकिल की टक्कर का पश्चाताप पर प्रेरणादायक हिंदी कहानी

गोलू की मुस्कान हिंदी कहानी: गोलू के जन्मदिन पर उसके पापा ने उसे एक सुंदर साइकिल उपहार में दी। अपना मनपसंद गिफ्ट पाकर गोलू बहुत खुश था। खुशी के साथ उसे मलाल भी था। मलाल यह था कि उसे साइकिल चलाना नहीं आती थी इसलिए उसने अपने दोस्त वैभव से कहा, “मुझे साइकिल चलाना सीखा दोगे?” “हां क्यों नहीं। कल …

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लौट आओ पापा: पितृ दिवस पर हिंदी बाल-कहानी

लौट आओ पापा: पितृ दिवस पर हिंदी बाल-कहानी

लौट आओ पापा: कहते है जाने वाला कभी लौट कर नहीं आता है, पर इन सभी बातों को झुठलाते हुए, आप लौट आओ पापा। घर पर आपकी बहुत ज़रूरत है। ज़रूरत तो हम सबको है पर माँ को सबसे ज़्यादा। कल भैया का फ़ोन आया था। बता रहे थे कि माँ अभी भी देहरी पर बैठी रहती है किसी ना …

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