जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा । सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा ॥ जय लक्ष्मी… ॥ रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे । नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥ जय लक्ष्मी… ॥ प्रकट भए कलिकारन, द्विज को दरस दियो । बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥ जय लक्ष्मी… ॥ दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी । चंद्रचूड़ इक …
Read More »आओ भाई आओ
आओ भाई आओ। क्यों भाई क्यों? एक चीज़ मिलेगी। क्या भाई क्या? रसगुल्ला! वाह! भाई वाह। दूर भगाओ! किसको जी? गन्दी गन्दी मक्खियाँ। छी, छी, छी।
Read More »आँगन की रौनक – प्रीती गांधी
बच्चो, घर कब आओगे? सूनी बगिया कब महकाओगे? आँगन की रौनक कब लौटाओगे? कानो में हमारे, अब भी गूंजतीं है वह किलकारियां तुम्हारी, वह मीठी बातें और हंसी प्यारी! वह तस्वीरें तुम्हारी कर जाती है ताजा फिर यादें पुरानी! ऐसा लगता है, बस कल ही की बात हो जब तुमने अपना पहला शब्द पुकारा था, पहली मुस्कान बिखराई और पहला …
Read More »अपना घर
आओ तुमको दिखलाता हूँ, एक जगह मै ऐसे। नहीं दूसरी दुनिया में, कोई भी उसके जैसी। यह हैं मेरे मम्मी-पापा यह है मेरा भैया। नाच रही वो छोटी बहना, करके ता-ता थैया। यह सारी दुनिया अच्छी है, अच्छे हैं सब गॉव-शहर। लेकिन सबसे प्यारा लगता, सबको अपना-अपना घर।
Read More »आलू बोला
आलू बोला मुझको खा लो, मैं तुमको मोटा कर दूंगा। पालक बोली मुझको खा लो, मैं तुमको ताक़त दे दूंगी। गोभी, मटर, टमाटर बोले, अगर हमें भी खाओगे, खूब बड़े हो जाओगे।
Read More »आम
पीला रंग-रसीला आम, होता बड़ा रसीला आम। चूसो खाओ ताज़ा आम, सभी फलों का राजा आम।
Read More »अक्कड मक्कड़ – भवानी प्रसाद मिश्र
अक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़, दोनों मूरख, दोनों अक्खड़, हाट से लौटे, ठाठ से लौटे, एक साथ एक बाट से लौटे। बात-बात में बात ठन गयी, बांह उठीं और मूछें तन गयीं। इसने उसकी गर्दन भींची, उसने इसकी दाढी खींची। अब वह जीता, अब यह जीता; दोनों का बढ चला फ़जीता; लोग तमाशाई जो ठहरे सबके खिले हुए थे चेहरे …
Read More »शब्द
शब्दों के दांत नहीं होते है लेकिन शब्द जब काटते है तो दर्द बहुत होता है और कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की जीवन समाप्त हो जाता है परन्तु घाव नहीं भरते… इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों ‘शब्द’ ‘शब्द’ सब कोई कहे, ‘शब्द’ के हाथ न पांव; एक ‘शब्द’ औषधि करे, और एक ‘शब्द’ …
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