Hindu Terror: RVS Mani Book Review

Hindu Terror: RVS Mani Book Review

Book Name: Hindu Terror – Insider account of Ministry of Home Affairs 2006-2010
Author: RVS Mani
Publisher: Vitasta
Pages: 220+ pages
Price: Rs. 450

किताब ‘Hindu Terror‘ ने खोला हिंदू आतंक के बीज बोने वालों का राज!

हिंदू टेरर: इनसाइडर एकाउंट ऑफ मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स जैसी किताब बिरले ही लिखी जाती है। इस किताब के लेखक स्वयं उस घटना और समय के भुक्तभोगी हैं। इसलिए भी इसकी महत्ता और प्रामाणिकता और बढ़ जाती है। नाम के अनुरूप ही उस दौर के हालात थे। देश आतंकवादियों के दंश से कराह रहा था, जबकि सरकार सत्ता के मद में चूर होकर एक अलग खेल खेल रही थी। इस्लामिक आतंकवाद के समानांतर देश में हिंदू आतंकवाद के विमर्श को आगे बढ़ाने में ही नहीं लगी थी, बल्कि इसके लिए साक्ष्य पैदा करने का भी इंतजाम कर रही थी। अगर ऐसे में हिंदू आतंक के बीज बोने के लिए इस्लामिक आतंकवादियों का सहारा लेने का संदेह किया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए।

मुख्य बिंदु

  • पी चिंदबरम के समय में मोस्ट वांटेड दाउद इब्राहिम के खिलाफ United Nations में क्यों नहीं प्रस्तुत हुआ कोई साक्ष्य?
  • गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने हिंदू टेरर किताब लिखकर नेताओं और अधिकारियों का किया खुलासा

Hindu Terror‘ के लेखक स्वयं उस समय के साक्ष्य भी रहे हैं क्योंकि वह गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा संभाग के अधिकारी रहे हैं। उन्होंने अपनी इस किताब में लिखा है कि मुंबई में हुए 26/11 के सीरियल बम ब्लास्ट के दौरान देश की स्थिति क्या थी? किस प्रकार राजनीति स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए आंतरिक सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों को अवैध, अनैतिक राजनीतिक आदेश के तहत मजबूर किया गया था? उस समय के राजनीतिक निर्णय के कारण ही देश को 26/11 जैसे कभी न भरने वाले घाव सहने पड़े।

इस किताब के लेखक आरवीएस मणि 2006 से 2010 के बीच में गृह मंत्रालय के महत्वपूर्ण आंतरिक सुरक्षा संभाग में कार्यरत थे। उन्होंने अपनी किताब में उस समय के परिदृश्य के साथ ही राजनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए देश की सुरक्षा के साथ,देश के बहुसंख्यक हिंदुओं को बदनाम करने के खेल को भी उजागर करने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार अधिकारियों राजनीतिक हित साधने के लिए उलटे सीधे आदेश दिए जाते थे? उन्होंने लिखा कि यूपीए सरकार ने ऐसी स्थिति बना दी थी कि अधिकारियों को देश बचाने या खुद को बचाने में से एक को चुनने की चुनौती आ गई थी।

पांच महीने में अपनी किताब पूरी करने वाले मणि ने लिखा है कि तथाकथित सेक्युलरों ने तो 2004 से 2013 के बीच कम प्रपंच नहीं रचा। उनके इस प्रचारित प्रपंच में देश के सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने की ताकत थी। इस किताब में 14 अध्याय हैं जिनमें से एक अध्याय का शीर्षक है हिंदू आतंक के बीज। अपनी किताब में उन्होंने कुछ छिपाया नहीं है। उन्होंने कई अधिकारियों और नेताओं के नाम तक लिए हैं। लेकिन हां जिन्हें अपने कार्यों के लिए प्रशंसा मिलनी चाहिए उसकी प्रशंसा भी की है और जिनकी अपनी करतूत के लिए आलोचना की जानी चाहिए उसकी आलोचना भी की है। जहाँ उन्होंने अपनी किताब में राजेंद्र सिंह द्वारा देश से आतंकियों के स्लीपर सेल को नष्ट करने के लिए प्रशंसा की है तो वहीं मुंबई आतंकी हमले में शहीद हुए हेंमत करकरे की हिंदू आतंक के बीज बोने के लिए कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह का साथ देने के लिए दोनों की आलोचना भी की है।

अपनी किताब में मणि ने साफ कहा है कि देश में हिंदू आतंक की Theory का जन्मदाता कोई और नहीं बल्कि पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम हैं। उन्होंने ही अपने कार्यकाल के दौरान हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को साबित करने के लिए गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा संभाग के अधिकारियों से सारे उल्टे सीधे काम करवाए। यहां तक कि बिना समुचित प्रक्रियाओं को अपनाए हुए NIA के दो डीजी को आंतरिक सुरक्षा संभाग में ले आए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार उस समय में एनआईए एक व्यक्ति के राजनीतिक हित साधने के लिए काम करने में जुटा हुआ था? तभी तो अपने मालिक के कहने पर एनआईए ने ही बगैर अस्तित्व में रहे हिंदू आतंकवाद की Theory गढ़ी। और फिर वहीं से पूरे देश में हिंदू आतंकवाद पर जानबूझ कर विमर्श चलाया गया।

उन्होंने अपनी इस किताब में मुंबई हमले से लेकर उसके पहले हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को बढ़ावा देने की पूरी कहानी सिलसिलेवार ढंग से लिखा है। इसी किताब में हेमंत करकरे और दिग्विजय सिंह के संबंध के बारे में खुलासा हुआ है। इसके अलावा उन्होंने लिखा है कि किस प्रकार पी चिंदरबम के गृह मंत्री रहते हुए देश के मोस्ट वांटेड आतंकी दाऊद इब्राहिम के खिलाफ कोई भी सूबत संयुक्त राष्ट्र के पास नहीं रखा गया? जबकि हमारी जांच एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन के पास काफी सबूत थे। एक बार तो सीबीआई अधिकारियों की इस संदर्भ में बैठक भी हुई लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात ही निकला।

इस किताब में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि UPA सरकार ने अपने दोनों कार्यकाल के दौरान देश को बदनाम करने के षड्यंत्र में ही जुटी थी। इस सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री रहे पी चिदंबरम और सोनिया तथा राहुल गांधी के सबसे नजदीकी नेता दिग्विजय सिंह ने ही देश में हिंदू आतंकवाद का बीज को बोया और फिर उसे खाद-पानी दिया। इस करतूत में उन्होंने देश के कई अधिकारियों को भी शामिल किया। उनकी इस करतूत से देश की जांच एजेंसियां भी अछूती नहीं रही।

Source: www.indiaspeaksdaily.com

In this #IndicTalk, RVS Mani discloses how the country’s internal security establishment functioned in the period of 2004-2014 when India faced some of the bloodiest terrorist carnages. This former Home Ministry official posted in the Internal Security Division between 2006-2010 also poses several questions which the nation should seek answers to.
He exposes the roles ministers like Shivraj Patil, P Chidambaram, A R Antulay, Digvijay Singh and officials like Chitkala Zutshi, Dharmendra Sharma, Hemant Karkare, R V Raju play in the manufacturing of the Hindu Terror narrative?
Here is a version of a man who almost was taken captive and was to be traded for release of Ajmal Kasab, but saved by sheer providence.
It also brings us to the sad realization that how previous government had scant regard for lives of common man when it colluded with Breaking India forces of the worst kind to achieve political ends.

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