Shastri Nitya Gopal Katare

हिन्दी एवं संस्कृत भाषा में समान रूप से सहज कविता लिखने वाले शास्त्री नित्यगोपाल कटारे का जन्म : 26 मार्च 1955 ई० (चैत्र शुक्ल तृतीया संवत् २०१२) को ग्राम टेकापार (गाडरवारा) जि० नरसिंहपुर (म.प्र.) में श्री रामचरण लाल कटारे के पुत्र के रूप में हुआ। शास्त्री जी संस्कृत के प्रथम चिट्ठाकार हैं। शिक्षा : वाराणसेय संस्कृत विश्व विद्यालय वाराणसी से व्याकरण 'शास्त्री` उपाधि; संस्कृत भूषण; संगीत विशारद। प्रकाशन : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में व्यंग्य लेख, कविता, नाटक आदि का हिन्दी एवं संस्कृत भाषा में अनवरत प्रकाशन। प्रसारण : आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के विभिन्न केन्द्रों से संस्कृत एवं हिन्दी कविताओं का प्रसारण। कृतियाँ : पञ्चगव्यम् (संस्कृत कविता संग्रह), विपन्नबुद्धि उवाच (हिन्दी कविता संग्रह), नेता महाभारतम् (संस्कृत व्यंग्य काव्य), नालायक होने का सुख (व्यंग्य संग्रह) विशेष : हिन्दी एवं संस्कृत भाषा के अनेक स्तरीय साहित्यिक कार्यक्रमों का संचालन एवं काव्य पाठ। पन्द्रह साहित्यिक पुस्तकों का संपादन। सम्प्रति : अध्यापन; महासचिव शिव संकल्प साहित्य परिषद्, नर्मदापुरम एवं मार्गदर्शक 'प्रखर` साहित्य संगीत संस्था भोपाल।

कलियुगी रामलीला: आज के कलयुग दौर की रामलीला पर हास्य-व्यंग कविता

कलियुगी रामलीला: आज के कलयुग दौर की रामलीला पर हास्य-व्यंग कविता

कलियुगी रामलीला: रामलीला उत्तरी भारत में परम्परागत रूप से खेला जाने वाला राम के चरित पर आधारित नाटक है। यह प्रायः विजयादशमी के अवसर पर खेला जाता है। दिल्ली में रामलीलाओं का इतिहास बहुत पुराना है। दिल्ली में, सबसे पहली रामलीला बहादुरशाह ज़फर के समय पुरानी दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई थी। लवकुश रामलीला कमेटी, अशोक विहार रामलीला] कमेटी आदि दिल्ली की प्राचीन …

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उठो लाल अब आँखें खोलो – शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

उठो लाल अब आंखें खोलो अपनी बदहालत पर रोलो पानी तो उपलब्ध नहीं है चलो आंसुओं से मुँह धोलो॥ कुम्हलाये पौधे बिन फूले सबके तन सिकुड़े मुंह फूले बिजली बिन सब काम ठप्प है बैठे होकर लँगड़े लूले बेटा उठो और जल्दी से नदिया से कुछ पानी ढ़ोलो॥ बीते बरस पचास प्रगति का सूरज अभी नहीं उग पाया जिसकी लाठी …

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