Shambhunath Singh

डॉ. शंभुनाथ सिंह (17 जून 1916 – 3 सितम्बर 1991) एक प्रसिद्ध हिन्दी लेखक, स्वतंत्रता सेनानी, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता थे। इनका जन्म गाँव रावतपार, जिला देवरिया, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे नवगीत आंदोलन के प्रणेता माने जाते हैं। नवगीत के प्रतिष्ठापक और प्रगतिशील कवि शंभुनाथ सिंह का हिंदी कविता में विशेष स्थान है। उनकी कविताएँ नई बौद्धिक चेतना से संपृक्त हैं। मानवजीवन की आधुनिक विसंगतियों का प्रभावशाली चित्र अंकित करने में वे अद्वितीय है। प्रकाशित कृतियाँ— रूप रश्मि, माता भूमिः, छायालोक, उदयाचल, दिवालोक, जहाँ दर्द नीला है, वक़्त की मीनार पर (सभी गीत संग्रह)। संपादित— नवगीत दशक-1 , नवगीत दशक-2, नवगीत दशक-3 तथा नवगीत अर्द्धशती का सम्पादन।

समय की शिला – शंभुनाथ सिंह

समय की शिला - शंभुनाथ सिंह

समय की शिला पर मधुर चित्र कितने किसी ने बनाए, किसी ने मिटाए। किसी ने लिखी आँसुओं से कहानी किसी ने पढ़ा किन्तु दो बूँद पानी इसी में गए बीत दिन ज़िन्दगी के गई घुल जवानी, गई मिट निशानी। विकल सिन्धु के साध के मेघ कितने धरा ने उठाए, गगन ने गिराए। शलभ ने शिखा को सदा ध्येय माना, किसी …

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तुम जानो या मैं जानूँ – शंभुनाथ सिंह

जानी अनजानी‚ तुम जानो या मैं जानूँ। यह रात अधूरेपन की‚ बिखरे ख्वाबों की सुनसान खंडहरों की‚ टूटी मेहराबों की खंण्डित चंदा की‚ रौंदे हुए गुलाबों की जो होनी अनहोनी हो कर इस राह गयी वह बात पुरानी – तुम जानो या मैं जानूँ। यह रात चांदनी की‚ धुंधली सीमाओं की आकाश बांधने वाली खुली भुजाओं की दीवारों पर मिलती …

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